अमित शाह का जबलपुर दौराः जानिए कौन थे राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह, जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से बांधकर उड़ा दिया था
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अमित शाह का जबलपुर दौराः जानिए कौन थे राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह, जिन्हें अंग्रेजों ने तोप से बांधकर उड़ा दिया था

14 सितंबर को राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को अंग्रेजों ने बंदी बनाया और 18 सितंबर को दोनों को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया गया था. 

फाइल फोटो.

भोपालः गृह मंत्री अमित शाह आज जबलपुर दौरा करेंगे. इस दौरान वह जबलपुर में गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण भी करेंगे. बता दें कि आज 18 सितंबर को राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस है. हाल ही में भाजपा ने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की बलिदान स्मृति यात्रा भी निकाली थी. आदिवासी लोगों में राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के प्रति बेहद सम्मान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह कौन थे और क्यों अंग्रेजों ने उन्हें तोप से बांधकर उड़ा दिया था?

बता दें कि 1857 में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजीमेंट का कमांडर क्लार्क बहुत ही क्रूर था. वह इलाके के छोटे राजाओं, जमीदारों को परेशान किया करता था और मनमाना कर वसूलता था. इस पर तत्कालीन गोंडवाना राज्य, जो कि मौजूदा जबलपुर और मंडला का इलाका था, वहां के राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह ने अंग्रेज कमांडर क्लार्क के सामने झुकने से इंकार कर दिया. दोनों ने आसपास के राजाओं को अंग्रेजों के खिलाफ इकट्ठा करना शुरू किया. बताया जाता है कि दोनों बाप बेटे अच्छे कवि थे और वह अपनी कविताओं के जरिए राज्य में लोगों को क्रांति के लिए प्रेरित करते थे. 

कमांडर क्लार्क को अपने गुप्तचरों से यह बात पता चल गई. जिस पर क्लार्क ने राज्य पर हमला बोल दिया. माना जाता है कि अंग्रेज कमांडर ने धोखे से पिता-पुत्र को बंदी बना लिया था. 14 सितंबर को दोनों को बंदी बनाया गया और 18 सितंबर को दोनों को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया गया था. उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाता रहा है.   

गोंडवाना साम्राज्य का हिस्सा रहे मंडला में भी आज 1857 में क्रांति की अलख जगाने वाले राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस मनाया गया. बता दें कि दोनों महान बलिदानियों की जन्मभूमि मंडला ही है. मंडला किले में बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हुए और उन्होंने दोनों शहीदों के सम्मान में जन्मस्थान पर उनकी मूर्तियां लगाने और भव्य स्मारक बनाने का ऐलान किया. पाठ्य पुस्तकों में भी दोनों की वीर गाथाओं को शामिल करने की कोशिश का वादा भी केंद्रीय मंत्री ने किया. 

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