Famous Place in Bhopal: अगर आप भी पिकनिक मनाने का प्लान बना रहे हैं, तो भोपाल आपकी लिस्ट में जरूर होना चाहिए. क्योंकि इसे झीलों का शहर माना जाता है. यहां झीलें ही नहीं, बल्कि कई एतिहासिक जगह भी हैं, जहां पर सुबह की सैर हो या परिवार के साथ पिकनिक, हर कोना कुछ नया अहसास कराता है. वन विहार की ठंडी हवा से लेकर सांची के शांत स्तूप तक, ये शहर हर घुमक्कड़ के दिल को छू लेता है.
भोपाल, जिसे प्यार से झीलों का शहर कहा जाता है, अपनी खूबसूरत झीलों और शांत माहौल के लिए जाना जाता है. शहर के बीचों-बीच बसा बड़ा तालाब न सिर्फ नजारे के लिए मशहूर है, बल्कि बोटिंग और सूरज ढलते वक्त का दृश्य भी देखने लायक होता है. हरे-भरे पेड़ों और ठंडी हवा के बीच यहां घूमना दिल को सुकून देता है. अब लोग चाहते हैं कि भोपाल में भी दिल्ली-मुंबई की तरह एक दिन में शहर घुमाने वाली सुविधा मिले, जिससे सैलानियों को सब कुछ आसानी से देखने को मिले.
भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क एक ऐसी जगह है, जहां जंगल की शांति और शहर की रफ्तार दोनों का मजा साथ-साथ मिलता है. यहां सुबह-सुबह सैर या साइकिल चलाते हुए तेंदुआ, बाघ और भालू जैसे जानवरों को उनके प्राकृतिक घर में देखना एक अलग ही अनुभव होता है. हरियाली से घिरे इस पार्क में हवा भी ताजा और सुकून देने वाली मिलती है. पास में बड़ा तालाब और सैर सपाटा जैसी जगहें इसे एक परफेक्ट फैमिली पिकनिक स्पॉट बना देती हैं.
सांची स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित एक प्राचीन बौद्ध स्मारक है, जिसे सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था. यह स्थल अपने खूबसूरत स्तूपों और बौद्ध वास्तुकला के लिए जाना जाता है और यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है. भोपाल से लगभग 46 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह हर साल हजारों पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. इतिहास प्रेमियों के लिए यह एक बेहद खास और ज्ञानवर्धक स्थल है.
भोपाल से करीब 46 किलोमीटर दूर, घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसी भीमबेटका की गुफाएं वाकई देखने लायक हैं. ये गुफाएं हजारों साल पुरानी हैं और यहां की चट्टानों पर बने चित्र ऐसे लगते हैं जैसे आदिमानवों की जिंदगी को खुद दीवारों पर उतारा गया हो. हर तस्वीर, हर रंग कुछ कहता है. जैसे कोई बहुत पुरानी कहानी सुन रहा हो. गांव-देहात के माहौल के बीच ये जगह इतिहास से मिलने जैसा अहसास कराती है.
अगर आप भोपाल आएं और जनजातीय संस्कृति को नज़दीक से समझना चाहें, तो श्यामला हिल्स में बना आदिवासी म्यूजियम जरूर देखें. जहां मध्य प्रदेश की 43 जनजातियों की जीवनशैली, पहनावा, घर, रीति-रिवाज और कला को बड़े ही खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है. मिट्टी, लकड़ी और रंगों से सजे मॉडल ऐसे लगते हैं, जैसे गांव के किसी मेले में घूम रहे हों. यह म्यूजियम न सिर्फ देखने लायक है, बल्कि यह समझाता है कि मध्य प्रदेश सच में जनजातीय परंपराओं से भरा एक अनोखा राज्य क्यों कहलाता है.
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