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MP के इस जिले में बढ़ रही गिद्धों की संख्या, पिछले कुछ सालों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी !

Vultures Number In MP: मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या अब तेजी से बढ़ रही है, जिसमें कटनी जिले का योगदान सबसे ज्यादा है, क्योंकि एमपी के कटनी जिले से एक सुखद और पर्यावरण के लिहाज से बेहद अहम खबर सामने आई है, वन विभाग की तरफ से कराई गई ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना में इस बार कुल 401 गिद्ध दर्ज किए गए हैं.  यह गणना कटनी वनमंडल के तीन प्रमुख वन परिक्षेत्रों में की गई, जिसमें सबसे ज्यादा 353 गिद्ध विजयराघवगढ़ की पहाड़ियों में पाए गए है, जबकि कटनी क्षेत्र में 39 और सबसे कम संख्या रीठी में 9 गिद्ध दर्ज हुए हैं, लेकिन यह संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है. बता दें कि मध्यप्रदेश में ही सबसे पहले गिद्धों की गणना कराई जानी शुरू हुई है.

गिद्धों की संख्या

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गिद्धों की संख्या

मध्यप्रदेश में फिलहाल भारत में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं, एमपी में गिद्धों की गणना भी हर साल कराई जाती है, खास बात यह है कि अब मध्यप्रदेश में हर साल गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, जो पर्यावरण के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है. 

कटनी जिले में बढ़ी संख्या

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कटनी जिले में बढ़ी संख्या

गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में मध्यप्रदेश के कटनी जिले में गिद्धों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. जिसे पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, कटनी के रेंजर मोहम्मद नबी अहमद ने बताया कि इस बार फरवरी की तुलना में 19 गिद्ध अधिक पाए गए हैं. 

401 हुई गिद्धों की संख्या

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401 हुई गिद्धों की संख्या

कटनी जिले में हाल ही में हुई गिद्धों की गणना में बढ़ोत्तरी देखी गई है, अब यहां पर कुल 401 गिद्ध हैं, जिसमें 298 वयस्क और 103 अवयस्क गिद्ध शामिल हैं, इसके अलावा यहां 166 घोंसले भी दर्ज किए गए, जिनमें से 147 केवल विजयराघवगढ़ क्षेत्र में मिले हैं. यानि आगे भी संख्या बढ़ने की उम्मीद है.

दो प्रजातियां पाई जाती हैं

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दो प्रजातियां पाई जाती हैं

कटनी जिले में गिद्धों की दो प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें सफेद गिद्ध और लॉन्ग बिल्ड वल्चर प्रजाति है, खास बात ये है कि अब यहां देशी बिल्ड वल्चर भी देखे गए हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता के लिहाज से बेहद अहम है. 

पर्यावरण के लिहाज से अच्छा

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पर्यावरण के लिहाज से अच्छा

विशेषज्ञ मानते हैं कि जहां गिद्धों की संख्या अधिक होती है, वहां अन्य वन्यजीवों की आबादी भी बेहतर तरीके से फलती-फूलती है. इन ऊंची पहाड़ियों में बसे गिद्ध न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं, बल्कि मृत जीवों को खाकर जंगल को स्वच्छ भी बनाते हैं, इसीलिए इन्हें 'प्राकृतिक सफाई मित्र' कहा जाता है. 

कटनी के लिए अच्छा

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कटनी के लिए अच्छा

कटनी जिला भी जंगलों से घिरा हुआ है, ऐसे में यहां गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी होना जिले के लिहाज से भी अच्छा है. क्योंकि जंगल को साफ बनाने में भी गिद्धों की भूमिका होती है. फिलहाल गिद्धों की संख्या बढ़ना एमपी और कटनी दोनों के लिए अच्छा है. 

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