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इंदौर : भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और मध्यप्रदेश भाजपा के प्रभारी विनय सहत्रबुद्धे ने देश के राजनीतिक दलों को उद्देश्य विहीन बताते हुए कहा कि राजनीतिक दल अपने फायदे के लिये जनता को उकसाने और गुमराह करने से भी नहीं चुकते हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान द्वारा कल रात यहां आयोजित ‘एकात्म मानवदर्शन: राजनीति व प्रशासन’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सहत्रबुद्धे ने कहा, ‘आज पूरे विश्व में राजनीतिक दलों के सामने उद्देश्य का संकट है। हमारे देश के करीब 50 राजनीतिक दलों में से 40 दल किसी एक घराने द्वारा संचालित किये जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनमें कहां उद्देश्य होगें और कहां रणनीति होगी।’ उन्होंने कहा कि पं दीनदयाल के अनुसार राजनीतिक दलों को उददेश्य से प्रेरित होना चाहिये। उनका एक मिशन, रोड मेप और संस्थाकरण होना चाहिये।
सहत्रबुद्धे ने राजनीति के जरिये लोकमत परिष्कार करने की आवश्यकता पर जोर दिया और भूमि अधिग्रहण कानून का उदाहरण देते हुए कहा कि लोगों को जगाने के बजाय राजनीतिक दलों द्वारा अपने फायदे के लिये लोगों को उकसाया और उन्हें वास्तविकता से दूर कर गुमराह किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जनप्रियता और जनहित में बड़ा अंतर होता है। इस अंतर का अहसास जनता को कराना चाहिये। राजनेता, पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी, और नाटककार जैसे पेशे के लोगों से समाज को अधिक अपेक्षाएं होती है। यह वर्ग समाज को कुछ न कुछ कहता रहता है। इसलिये इस वर्ग को लोकमत परिष्कार करना चाहिये।