आपके काम की खबरः दिवाली पर पूजन विधि, मंत्र और आरती, पूजा के दौरान रहे ये ख्याल
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आपके काम की खबरः दिवाली पर पूजन विधि, मंत्र और आरती, पूजा के दौरान रहे ये ख्याल

सबसे पहले याद रहे कि कभी भी रात में पूजा की तैयारियां ना करें. सांयकाल से ही पूजा की सारी तैयारी कर लें, चाहें वो पूजा का स्थान सजाना हो या दीये और बाती बनाना हो. 

दिवाली 2020

नई दिल्ली: हमारे हिन्दू धर्म में हर त्योहार का अपना ही एक महत्व होता है. दीपावली भी हमारे प्रमुख त्योहारों में से एक है.कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इसे दीप उत्सव भी कहा जाता है. इस दिन हम लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं. आज हम आपको बताएंगे दिवाली की पूजा की विधि, मंत्र और और पूजा के दौरान रखे जाने वाली सावधानियों के बारे में.

इस बात का रखें ख्याल
सबसे पहले याद रहे कि कभी भी रात में पूजा की तैयारियां ना करें. सांयकाल से ही पूजा की सारी तैयारी कर लें, चाहें वो पूजा का स्थान सजाना हो या दीये और बाती बनाना हो. 

दीपावली पर ऐसे करे पूजा

पहले एक चौकी पर माता लक्ष्मी और श्रीगणेश की प्रतिमा को विराजमान करें.लक्ष्मी माता की प्रतिमा को हमेशा गणेश जी की बाईं ओर रखें. उनका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
इसके बाद चावलों को रखकर उसके ऊपर कलश की स्थापना करें.
कलश पर एक नारियल लाल वस्त्र में लपेट कर इस प्रकार रखें कि उसका केवल अग्रभाग ही दिखाई दे.
अपनी इच्छा अनुसार 5,7,11,21,51 या 101 दीये जलाएं. घी या तेल के जलाने है ये आपकी श्रद्धा है. 
पूजा के लिए दो बड़े दीये लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें. एक को लक्ष्मी-गणेश के चरणों में रखें और दूसरे को चौकी की दाईं तरफ रखें.
इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूप, बत्ती, गुड़, फूल, धानी, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें.
इसके बाद दीये को जलाकर उन्हें नमस्कार करें. उन पर चावल या खील डालें.
इसके बाद गणेश जी और फिर लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा कर श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष सूक्त का पाठ करें और इसके बाद आरती करें.
दिवाली पर करें इस मंत्र का जाप
लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र:
'नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।'

कुबेर प्रा​र्थना मंत्र:

धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। 
भवन्त त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद:।।

श्री लक्ष्मी महामंत्र:
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र:
ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

ॐ गं गणपतये नमः॥

भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिंदूर अर्पण करना चाहिए:

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥

इस मंत्र का जाप करते हुए गौरीपुत्र गणेश को अक्षत(चावल) चढ़ाएं:
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः॥

क्या है शुभ मुहूर्त
12 नवंबर रात 9.30 बजे के बाद त्रयोदशी शुरू हो रही है, इसलिए गुरुवार को भी धनतेरस मनाया जा रहा है. हालांकि गुरुवार को धनतेरस की पूजा करना सही नहीं है, इसके लिए शुक्रवार की शाम 5:59 मिनट उचित मुहूर्त है. 

मां लक्ष्मी की आरती:
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता....
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
जिस घर तुम रहती सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।

गणेश जी की आरती:

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

 

 

 

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