विनोद शुक्ल की 'नौकर की कमीज' पर बन चुकी है फिल्म, अब मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार, जानें उनके बारे में
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विनोद शुक्ल की 'नौकर की कमीज' पर बन चुकी है फिल्म, अब मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार, जानें उनके बारे में

Raipur News: प्रसिद्ध हिंदी कवि और लेखक विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा. उनके उपन्यास 'नौकर की कमीज' पर एक फिल्म भी बन चुकी है.

विनोद शुक्ल की 'नौकर की कमीज' पर बन चुकी है फिल्म, अब मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार, जानें उनके बारे में

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मशहूर हिंदी कवि और कहानीकार विनोद कुमार शुक्ल को इस साल का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा. ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को नई दिल्ली में इसकी घोषणा की. यह पल राज्य के लिए बेहद गौरवपूर्ण है. बता दें कि विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा. वे इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले 12वें हिंदी लेखक हैं. उनके उपन्यास 'नौकर की कमीज' पर एक फिल्म भी बन चुकी है.

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छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार
विनोद कुमार शुक्ल यह पुरस्कार पाने वाले 12वें हिंदी और छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार हैं. सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रतिभा राय की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ परिषद की बैठक में यह चयन किया गया.

'नौकर की कमीज' पर बन चुकी है फिल्म
विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी साहित्य के अनूठे रचनाकारों में से एक माना जाता है. उन्होंने कविता, उपन्यास और कहानियों में एक ऐसी दुनिया रची जो हमारे आस-पास की साधारण जिंदगी की असाधारण खूबसूरती को दिखाती है. 'नौकर की कमीज', 'खिलेगा तो देखेंगे' और 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' जैसे उपन्यासों ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी. उनकी रचनाओं में गांव, प्रकृति, आम आदमी और उसका संघर्ष बहुत सहजता से उभर कर आता है. उनकी भाषा में कविता की लय है और कल्पना में अनोखी सरलता. वे शब्दों के नहीं बल्कि भावनाओं के जादूगर हैं. मशहूर फिल्मकार मणि कौल ने उनके उपन्यास 'नौकर की कमीज' पर एक फिल्म भी बनाई थी.

कौन हैं विनोद कुमार शुक्ल
1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल पिछले 50 सालों से लेखन कर रहे हैं. उनका पहला कविता संग्रह "लगभग जयहिंद" 1971 में प्रकाशित हुआ था और तब से उनकी रचनाओं ने साहित्य जगत में अपनी जगह बना ली है. उनके कहानी संग्रह पेड़ पर कमरा और महाविद्यालय भी काफी प्रसिद्ध हैं. इससे पहले विनोद शुक्ल को साहित्य अकादमी समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. 89 साल की उम्र में भी उनकी कलम का जादू बरकरार है और उनकी लेखनी का सफर जारी है.

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सीएम साय ने दी बधाई
सीएम विष्णुदेव साय ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर बधाई देते हुए लिखा कि, 'देश के लब्धप्रतिष्ठ उपन्यासकार–कवि आदरणीय विनोद कुमार शुक्ल जी को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए जाने का समाचार प्राप्त हुआ है. यह छत्तीसगढ़ के लिये गौरव की बात है. आदरणीय शुक्ल जी को अशेष बधाई. उन्होंने एक बार पुनः छत्तीसगढ़ को भारत के साहित्यिक पटल पर गौरवान्वित होने का अवसर दिया है.शुक्ल जी के सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन की कामना.'

 

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