अप्रत्यक्ष प्रणाली से मेयर चुनाव पर कमलनाथ सरकार ने मुहर लगा दी है. जिसके विरोध में जबलपुर के दो समाजसेवियों की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है.
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कर्ण मिश्रा/जबलपुर: मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने में भले ही वक्त है. लेकिन, इसकी सियासी गर्मी अभी से ही दिखाई दे रही है. बीजेपी जहां इसका पूर्व में ही विरोध दर्ज करा चुकी है. वहीं, इस बार होने जा रहे महापौर चुनाव के अप्रत्यक्ष तरीके से कराए जाने का कई समाजसेवी भी विरोध दर्ज करा चुके हैं. जिसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका पूर्व में भी दायर की जा चुकी है. जिसके खारिज होने के बाद एक फिर पुनर्विचार याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में दायर की गई है. जिसे न्यायालय ने मंजूर करते हुए आगे सुनवाई तय कर दी है. बता दें कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से मेयर चुनाव पर कमलनाथ सरकार ने मुहर लगा दी है. जिसके विरोध में जबलपुर के दो समाजसेवियों की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है.
पुनर्विचार याचिका में 1997 के हाईकोर्ट फैसले की दी गई दलील
जबलपुर हाईकोर्ट में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से पहले भी एक याचिका दायर की गई थी. जिसे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सरकार का फैसला सही है. लेकिन, अब एक बार फिर इसको लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. जिसमें दलील देते हुए बताया गया है कि मध्यप्रदेश में 1997 में जब महापौर के प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव हो रहे थे तो, इसको हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया था. इसी आदेश का हवाला देते हुए याचिका पर हाईकोर्ट को पुनर्विचार करने की अपील की गई है.
फिलहाल इस याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायालय की ओर से मामले पर अगली सुनवाई जनवरी माह के पहले सप्ताह में तय की गई है. याचिकाकर्ता पीजी नाथ पाण्डेय की ने बताया कि कमलनाथ सरकार ने नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश को जारी करते हुए 22 साल पुराने प्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनाव की जगह अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला ले लिया है. जिसे न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर एक बार फिर चुनौती दी गई है.