छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक रिटायर्ड एसीपी लोगों के लिए मिसाल बनीं हुईं हैं, क्या किया लीलावती मिश्रा ने पढ़िए पूरी ख़बर।
Trending Photos
रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी में एक रिटायर्ड एसीपी खुद संघर्ष कर कई बच्चों का भविष्य संवार रही हैं।
कभी अपने बेटे, बहू और पोते को खोने के बाद मानसिक परेशानी से गुजरीं तो कभी कई और तरह की परेशानियों से दो चार हुईं
लेकिन उनका हौसला कभी टूटा नहीं अश्वनी नगर में रहकर लीलावती मिश्रा एक बाल आश्रम चलाती हैं।
जहां से कई बच्चे पढ़कर निकले और इंजीनियर से लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक बने लीलावती मिश्रा को इन बच्चों से कोई अपेक्षा नहीं है।
लीलावती मिश्रा ने बताया की कई बच्चे यहां से निकले और उन्हें भूल गए कभी लौटकर भी नहीं आए ऐसा होता रहता है।
बाल आश्रम में कई बार सरकारी आफत भी टूटी उनसे तरह-तरह के दस्तावेज भी मांगे गए कई नोटिस भी दिए गए।
लेकिन लीलावती ने कभी हार नहीं मानी और बाद में आश्रम का नाम बदलकर छात्रावास कर दिया।
जो अब अत्मानंद छात्रावास के नाम से संचालित हो रहा है, छात्रावास में रहने वाले बच्चों का कहना है कि उन्हें यहां रहकर घर की याद नहीं आती है।
बाल आश्रम में रहने वाले कई बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता नहीं हैं तो कई के पिता जेल में हैं और कुछ के परिवार वाले उन्हें पढ़ाने में अक्षम हैं।