घटिया चावल मामलाः खाद्यमंत्री बोले- मामले की जानकारी नहीं, कांग्रेस ने कहा- उजागर हुआ क्रूर चेहरा
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घटिया चावल मामलाः खाद्यमंत्री बोले- मामले की जानकारी नहीं, कांग्रेस ने कहा- उजागर हुआ क्रूर चेहरा

 कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस घोटाले ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का क्रूर चेहरा उजागर किया है. उन्होंने मांग की मामले की जांच होनी चाहिए, जो दोषी हैं उन पर कार्रवाई होना चाहिये.

बालाघाट और मंडला में बांटा गया घटिया किस्म का चावल

भोपाल: बालाघाट और मंडला में लॉकडाउन के दौरान गरीबों को घटिया चावल बांटने पर अब सियायत गरमा गई है. इस मुद्दे पर कांग्रेस ने जहां सरकार कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. वहीं सरकार को क्रूर भी बताया है. जबकि इस मामले में सवाल पर शिवराज सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है. मंत्री के बयान बताते हैं कि वितरण प्रणाली में किस तरह का घोटाला किया जा रहा है. 

जांच हो दोषियों को सजा मिले
इस मामले में कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस घोटाले ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का क्रूर चेहरा उजागर किया है. उन्होंने मांग की मामले की जांच होनी चाहिए, जो दोषी हैं उन पर कार्रवाई होना चाहिये. कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे ज्यादा घिनौना कुछ नहीं हो सकता कि जब हमारे साढ़े 7 करोड़ लोग त्रासदी में फसे थे, तब हम उन्हें जानवरों के खाने योग्य खाना दे रहे थे.

मंत्री की दो टूक- जानकारी नहीं
मंडला और बालाघाट में घटिया चावल बांटने का मामला खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री को पता ही नहीं है. उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी तक मेरे विभाग में और मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है. मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने निर्देशित किया है तो निश्चित तौर पर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. 

दरअसल, बालाघाट और मंडला के आदिवासी बहुल्य जिलों में गोदामों में भरा घटिया चावल बांटने का मामला सामने आया है. इस मामले में केंद्र सरकार से शिकायत की गई थी. जिसके बाद चावलों की गुणवत्ता जांच की गई. इसमें पाया गया कि जो चावल गरीबों को बांटा गया वह जानवरों को खिलाने लायक तक नहीं था. 

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खरीद से लेकर रख-रखाव तक गंभीर खामियां
गोदामों के रिकॉर्ड के मुताबिक, जिन चावलों के सैंपल लिए गए वो मई-जुलाई 2020 में खरीदे गए थे. रिपोर्ट कहती है कि चावल न सिर्फ पुराने और घटिया हैं, बल्कि जिन बोरियों में इन्हें रखा गया है वो भी कम से कम दो से तीन साल पुरानी हैं. खरीद से लेकर पूरे वितरण में गंभीर खामियां केंद्र सरकार की जांच टीम को मिली.

कैसे हुआ खुलासा?
21 अगस्त को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से 30 जुलाई से 2 अगस्त तक बालाघाट और मंडला में 32 सैंपल एकत्र करने को कहा था. जिसमें 31 डिपो और एक राशन की दुकान से चावलों के सैंपल लिए गए थे. CGAL लैब में परीक्षण के बाद पाया गया कि सारे नमूने ना सिर्फ मानकों से खराब हैं, बल्कि वो फीड-1 की श्रेणी में हैं जो बकरी, घोड़े, भेड़ और मुर्गे जैसे पशुधन को खिलाने लायक हैं.

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