अजब MP का गजब स्कूल, बिल्डिंग के बावजूद पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, जानिए पूरा मामला
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अजब MP का गजब स्कूल, बिल्डिंग के बावजूद पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, जानिए पूरा मामला

ग्रामीण का कहना है कि 15 वर्षों से स्कूल भवन तैयार है लेकिन, बच्चे आज भी पंचायत भवन के बाहर पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारी-नेता आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं.

स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि माध्यमिक विद्यालय का भवन 15 वर्षों से तैयार है. केवल फर्श का काम नहीं होने के कारण आज तक बच्चों को इस नए भवन में शिफ्ट नही किया गया है.

चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलाम: आपने स्कूल भवन नहीं होने के कारण पेड़ के नीचे लगते क्लास की खबरें तो कई बार पढ़ी होंगी, लेकिन लाखों की राशि से बने स्कूल भवन के बाहर पेड़ के नीचे 15 वर्ष से लगता स्कूल आपने नहीं देखा होगा. हैरान करने वाला यह मामला रतलाम के भडानकला गांव का है. जहां 15 वर्ष से बनकर तैयार स्कूल भवन के सामने पंचायत भवन के बाहर पेड़ के नीचे माध्यमिक विद्यालय लगता है. 

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दरअसल, रतलाम के बाजना तहसील के गांव भडानकला गांव में कई सालों से माध्यमिक स्कूल जर्जर पंचायत भवन के बाहर पेड़ के नीचे लगता है. इस तस्वीर को देखकर हर कोई यही सवाल करेगा कि आखिर इन बच्चों के लिए सालों बाद भी स्कूल भवन क्यों नही बनाया गया. लेकिन, इसका जवाब भी सिर पीटने से कम नही है, क्योंकि माध्यमिक विद्यालय का भवन 15 साल पहले ही बन गया था. हालांकि, इस स्कूल भवन में बच्चों को आज तक शिफ्ट नही किया गया.

स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि माध्यमिक विद्यालय का भवन 15 वर्षों से तैयार है. केवल फर्श का काम नहीं होने के कारण आज तक बच्चों को इस नए भवन में शिफ्ट नही किया गया है. भडानकला गांव के ग्रामीणों ने 15 साल पहले जब स्कूल भवन बनते देखा होगा तो, अपनी आने वाली पीढ़ी को इस स्कूल में पढ़ाने के सपने देखे होंगे. वहीं, अब यह स्कूल खंडहर में तब्दील होने की कगार पर आ गया. इस स्कूल में 6वीं, 7वीं व 8वीं कक्षा के कुल 98 बच्चे पढ़ते हैं. ये ग्राम पंचायत भडानकला के अलावा तीन गांव बाकी, झगड़ापाड़ा, सालिया वडली से पढ़ने के लिए गांव भडानकला माध्यमिक विद्यालत आते हैं. 

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ग्रामीण का कहना है कि 15 वर्षों से स्कूल भवन तैयार है लेकिन, बच्चे आज भी पंचायत भवन के बाहर पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारी-नेता आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. इसे समस्या कहें या लापरवाही लेकिन, इसकी जानकारी जिला प्रशासन के आला अधिकारियों तक नही पहुंच पाई. जब ZEE MPCG की टीम ने इस समस्या को लेकर कलेक्टर को जानकारी दी तो, उनका यही कहना है कि उन्हें इसकी जानकरी मिली है और इस पर कार्रवाई की जाएगी.

15 वर्षों से बनकर तैयार यह स्कूल भवन पेड़ के नीचे बैठकर पड़ते बच्चों को टकटकी लगाए सिस्टम से यही सवाल करता है कि आखिर लाखों की राशि खर्च कर भवन को खंडहर होने के लिए क्यों छोड़ दिया गया. यदि इसमें स्कूल का संचालन शुरू हो जाता तो, शाला मेंटेनेंस राशि से इस भवन का रखरखाव भी होता और बच्चे हर मौसम में सुरक्षित इस भवन में पढ़ाई करते. इस भवन निर्माण में लगा सरकारी खर्च भी वास्तविक उपयोगिता में आता. 

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