ग्वालियर: एक महीने के अंदर शहर में दूसरी बार धारा 144 लागू, धरना प्रदर्शन पर लगी रोक
Advertisement

ग्वालियर: एक महीने के अंदर शहर में दूसरी बार धारा 144 लागू, धरना प्रदर्शन पर लगी रोक

एससी-एसटी एक्ट के विरोध में पिछले कई दिनों से चले रहे विरोध के बीच शहर में दूसरी बार धारा 144 लागू कर दी गई है. 

(फाइल फोटो)

ग्वालियर: एससी-एसटी एक्ट के विरोध में पिछले कई दिनों से चले रहे विरोध के बीच शहर में दूसरी बार धारा 144 लागू कर दी गई है. ग्वालियर में जनप्रतिनिधि सवर्ण वर्ग द्वारा किये जा रहे लगातार विरोध से इतने खौफजदा है कि वह अब प्रशासन की मदद लेकर इन प्रदर्शनों को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. अपर कलेक्टर संदीप केरकेट्टा ने आगामी दो महीने तक जिले में धारा 144 लागू करने के आदेश जारी किये हैं. इस अवधि के दौरान कोई भी संगठन बिना अनुमति के धरना प्रदर्शन नहीं कर पाएगा. 

धारा 144 के अंतर्गत बगैर अनुमति के धरना, प्रदर्शन, जुलूस, नारेबाजी और भीड़ जमा होने पर पूर्णत: प्रतिबंध रहेगा. शस्त्र लाइसेंस सस्पेंड नहीं किए हैं, पर हथियार लेकर निकलने पर रोक रहेगी. सरकारी सेवा में लगे सुरक्षकर्मियों को रहेगी छूट और बैंक, ATM सहित अन्य चिन्हित निजी कार्यालयों के गार्डों को हथियार रखने की अनुमति होगी. वहीं भड़काऊ भाषा में प्रचार, पोस्टर लाउडस्पीकर के प्रयेाग, फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर भी प्रतिबंध रहेगा.

SC/ST एक्‍ट के खिलाफ दायर हुई एक और याचिका, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार

कोर्ट ने तत्‍काल गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को दिए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा-निर्देश जारी किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

मध्यप्रदेश: ग्वालियर में एससी-एसटी एक्ट पर भाजपा नेताओं का विरोध

सरकार के संशोधन कानून को दी गई है चुनौती
पहले वाली याचिका दो वकीलों-प्रिया शर्मा, पृथ्वी राज चौहान और एक NGO ने दायर की थी. जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार का नया कानून असंवैधानिक है क्योंकि सरकार ने सेक्‍शन 18ए के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाया है जोकि गलत है और सरकार के इस नए कानून आने से अब बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा. याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के नए कानून को असंवैधानिक करार दे और जब तक ये याचिका लंबित रहे, तब तक कोर्ट नए कानून के अमल पर रोक लगाए. आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी करने वाले एससी एसटी संशोधन कानून 2018 को मंजूरी दी थी. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद एससी एसटी कानून पूर्व की तरह सख्त प्रावधानों से लैस हो गया है.

Trending news