MP: देवास के 'महाकालेश्वर मंदिर' की महिमा, हर साल बढ़ता है शिवलिंग, लगता है भक्तों का तांता
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MP: देवास के 'महाकालेश्वर मंदिर' की महिमा, हर साल बढ़ता है शिवलिंग, लगता है भक्तों का तांता

आज सावन मास के पहले सोमवार पर भगवान शिव के प्रमुख शिवालयों में सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ना शुरू हो गया.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली/देवास: आज सावन मास के पहले सोमवार पर भगवान शिव के प्रमुख शिवालयों में सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ना शुरू हो गया. प्रदेश के देवास से एक आश्चर्यचकित करने वाली खबर है कि यहां के श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग का आकार बढ़ रहा है. 

300 साल पुराना है मंदिर
घटना देवास शहर से करीब सात किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन श्री महाकालेश्वर, बिलावली मंदिर की है, जहां शिवरात्रि और पूरे सावन शिवभक्तों का तांता लगा रहता है. यह मंदिर तीन 300 साल पुराना है. मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर का यह शिवलिंग प्रतिवर्ष तिल-तिल कर बढ़ता है. भक्तों का मानना है कि यहां सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. देश-प्रदेश से यहां हजारों लोग सावन माह में दर्शन के लिए आते हैं. 

VIDEO: सावन के पहले सोमवार को घर बैठे करें बाबा महाकाल के LIVE दर्शन

पौराणिक कथा के मुताबिक 
शिवभक्तों की बिलावली मंदिर के प्रति अपार आस्था है. यहां आसपास के इलाके से भक्त आम दिनों में भी बड़ी तादात में दर्शन करने आते रहते हैं. किवदंतियों के मुताबिक ग्राम बिलावली में ब्राम्हण पंडित हरिभाऊ शर्मा रहते थे. बचपन से ही शिव भक्ति में लीन ब्राम्हण बालक को महाकाल के दर्शन की ललक रहती थी. वह प्रतिदिन सुबह घर से उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर जाते वहां दर्शन करते और घर लौटकर भोजन करते थे. धीरे-धीरे यह क्रम वर्षों तक चलता रहा. पंडित हरिभाऊ की उम्र जवाब देने लगी और एक बार भारी वर्षा के कारण वह ग्राम नरवर में एक पेड़ के किनारे ही सो गए. जहां कुछ लोग उन्हें पहचान कर घर ले गए. लोगों ने हरिभाऊ से  भोजन का आग्रह किया परंतु बगैर दर्शन करे भोजन करने से उन्होंने इंकार कर दिया. तीन-चार दिन गुजरने के बाद महाकाल ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वत्स, हरि तुम वर्षों से इतनी दूर मेरे दर्शन को आते हो अब तुम्हारा शरीर भी धीरे-धीरे ढल रहा है तुम एक काम करो, अपने ग्राम के आसपास की एक अच्छी जगह देख लो. वहां गोबर से लीपकर 5 बिल्व पत्र रख दो मैं वहीं आ जाऊंगा. तुम जाओ और वहीं मेरी पूजन अर्चना करो. 

महाकाल के स्वयंभू रूप में विराजित
उसके बाद वृद्ध ब्राम्हण घर बिलावली आए यहां ग्राम वासियों को बताया तब सभी ग्राम वासियों के साथ बिलावली के पास जहां टीले पर घना जंगल था वहां यह जगह देखकर गोबर से लीपकर पांच बिलपत्र रख दिए. इसके बाद रात में ही महाकाल के दर्शन करने रवाना हो गए हैं. सुबह जब उस स्थान पर पहुंचे तब वहां स्वयंभू प्रकट महाकाल छोटे से रूप में विराजित दिखें. उस वक्त से ही शिवलिंग आज महाकाल के स्वयंभू रूप में विराजित है. प्रति वर्ष तिलभर बढ़ने वाले महाकालेश्वर मंदिर को शिवभक्त "बिलावली महाकाल मंदिर" के रूप में पहचानते हैं. यहां पर हर शिव भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. 

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