मध्य प्रदेश में उपचुनाव से पहले शिवराज सरकार ने बैकवर्ड कार्ड खेला है. मंगलवार को हुई कैबिनट की बैठक में सरकार ने प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक आयोग का दर्जा देने का ऐलान किया है.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में उपचुनाव से पहले शिवराज सरकार ने बैकवर्ड कार्ड खेला है. मंगलवार को हुई कैबिनट की बैठक में सरकार ने प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक आयोग का दर्जा देने का ऐलान किया है. इसके तहत अब पिछड़ा वर्ग आयोग को केंद्र के आयोग की तरह अधिकार होंगे.
पिछड़ा वर्ग आयोग को मिलेगा संवैधानिक दर्जा
शिवराज सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार के पिछड़ा वर्ग को 27 फ़ीसदी आरक्षण देने के जवाब में प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक आयोग का दर्जा देने का ऐलान किया है. इसके तहत आयोग पिछड़ा वर्ग मामलों में सुनवाई को लेकर अफसरों को बुला सकेगा. शिवराज कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत तीन सदस्यों को नियुक्त करने का फैसला लिया है.
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कैबिनेट में लिए गए फैसले को लेकर मंत्री राम खिलावन पटेल ने कहा कि प्रदेश के पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक आयोग का दर्जा देने से इससे आयोग को और ताकत मिलेगी. अधिकारी आयोग के प्रति जिम्मेवार होंगे. वहीं उन्होंने अध्यक्ष के अधिकार कम किए जाने के सवाल पर कहा कि संवैधानिक दर्जे से अधिकार कम नहीं होंगे.
वहीं कैबिनेट की बैठक में पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं और सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. शिवराज कैबिनेट में प्रदेश के 17 हजार पटवारियों को लैपटॉप देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
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