भोपाल: मध्य प्रदेश में आंगनवाड़ी वर्कर्स के लिए मोबाइल खरीदी का टैंडर नौंवी बार निरस्त हो गया है. अब सरकार ने फैसला किया है कि वह आंगनवाड़ी वर्कर्स को मोबाइल खरीदने के लिए सीधे उनके खाते में 10 रुपए डालेगी. इस पैसे से हर एक आंगनवाड़ी वर्कर को 4जी मोबाइल फोन खरीदना होगा. उन्हें पसंद का मोबाइल फोन खरीदने की स्वतंत्रता होगी. 


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दो साल पहले केंद्र सरकार ने किया था मोबाइल देने का फैसला
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने दो साल पहल पोषण अभियान के तहत देश की आंगनवाड़ियों में 6 साल तक के बच्चों के वजन और कद की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए वर्कर्स को मोबाइल देने का फैसला किया था. मध्य प्रदेश में यह योजना आज तक लागू नहीं हो सकी है. इसके लिए 9 बार टेंडर निकाले गए और हर बार प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया. अब शिवराज सरकार ने फैसला लिया है कि वह प्रदेश के 76,283 आंगनवाड़ी वर्करों को मोबाइल खरीदने के लिए 10 हजार रुपए सीधे उनके बैंक अकाउंट में भेजेगी. इस तरह करीब 76 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. 


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अगली कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पर लग सकती है मुहर
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पोषण अभियान के तहत आंगनवाड़ी वर्करों को मोबाइल देने के लिए राज्यों को करोड़ों का बजट दिया है. लेकिन मध्य प्रदेश में 2 साल से यह काम पेंडिंग ही पड़ा है. अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर महिला बाल विकास विभाग ने 9वीं बार टेंडर निरस्त कर दिए हैं. राज्य सरकार की ओर से आंगनबाड़ी वर्कर्स को डीबीटी से राशि भेजने की मंजूरी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांगी गई थी, जो स्वीकर कर ली गई है. शिवराज सरकार की अगली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना है.


केंद्र सरकार की चेतावनी के बाद काम में आई है तेजी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की थी. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में 6 साल तक के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की निगरानी के लिए आंगनवाड़ी वर्करों को मोबाइल फोन देने का फैसला लिया था. सभी आंगनवाड़ी केंद्र में प्रत्येक बच्चे का वजन और उंचाई मोबाइल फोन में हर महीने केंद्र के कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर अपलोड करना थी.


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कई राज्यों में डेटा अपलोड करने के साथ रियल टाइम मानिटरिंग शुरू हो चुकी है, तो कई राज्य अभी मोबाइल फोन ही नहीं उपलब्ध करा सकें हैं. एमपी भी उनमें शामिल है. केंद्र सरकार ने योजना की समीक्षा के दौरान स्पष्ट कर दिया कि जनवरी 2021 तक जिन राज्यों में मोबाइल से बच्चों की मानिटरिंग शुरू नहीं हो पाएगी उन्हें असफल राज्यों की श्रेणी में डाल देंगे. इसके बाद शिवराज सरकार हरकत में आई है.


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