सुप्रीम कोर्ट के जज बोले, देश में बदल गए हैं 'जनहित याचिका' के मायने
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सुप्रीम कोर्ट के जज बोले, देश में बदल गए हैं 'जनहित याचिका' के मायने

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कथित रूप से राजनीतिक हित साधने के लिए दायर की जाने वाली जनहित याचिकाओें को लेकर चिंता जताई.

जस्टिस मिश्रा इंदौर में जिला न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए आयोजित भूमिपूजन समारोह में आए थे. (फाइल फोटो)

इंदौर: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कथित रूप से राजनीतिक हित साधने के लिए दायर की जाने वाली जनहित याचिकाओें को लेकर चिंता जताते हुए शनिवार को सवाल किया कि क्या ‘पीआईएल’ का मतलब ‘पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (जनहित याचिका) की जगह "पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन" हो गया है. जस्टिस मिश्रा इंदौर में जिला न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए आयोजित भूमिपूजन समारोह में आए थे.

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उन्होंने कहा, " ‘पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ न्यायपालिका के लिए एक अति महत्वपूर्ण आयुध रहा है. देश के आम लोगों के हित में पत्रों को भी जनहित याचिकाओं के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है, लेकिन आज क्या ‘पीआईएल’ का मतलब ‘पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेशन’ हो गया है." 

राजनीतिक मुकदमों को दिया जाता है पीआईएल का रूप- मिश्रा
उन्होंने कहा, "मुकदमों को राजनीतिक रूप से प्रायोजित कर जनहित याचिकाओं के रूप में दायर किया जाता है. इन याचिकाओं पर मनमाफिक निर्णय नहीं होने पर अदालतों पर हमला किया जाता है और इन फैसलों की तारीखों को न्यायपालिका के लिए काला दिवस करार दिया जाता है." उन्होंने इस सिलसिले में वकीलों को आत्मचिंतन की सलाह देते हुए सवाल किया कि क्या जनहित याचिकाओं को दायर करने के नये पैमाने तय करने का वक्त आ गया है. समारोह की अध्यक्षता कर रहीं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी निहित स्वार्थों के लिए जनहित याचिकाएं दायर करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई. कार्यक्रम में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता, राज्य के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रामपाल सिंह और न्याय जगत की अन्य हस्तियां मौजूद थीं. 

(इनपुट भाषा से)

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