MP: शिवराज की याचिका पर अब कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानिए अदालत में आज क्या हुआ?
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MP: शिवराज की याचिका पर अब कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानिए अदालत में आज क्या हुआ?

कांग्रेस ने कहा कि 22 बागी विधायकों के इस्तीफा सौंपने के पीछे भाजपा की साजिश है और इसकी जांच होनी चाहिए. कांग्रेस ने बागी विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की मांग की. भाजपा ने इसका विरोध किया.

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग वाली शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 19 मार्च तक के लिए टाल दी है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कल यानी 19 मार्च को 10:30 बजे फिर सुनवाई करेगा. इससे पहले बुधवार को लंच ब्रेक से पहले कांग्रेस, भाजपा और राज्यपाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर दलीलें पेश की गईं. आपको बता दें कि कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण नहीं कराने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और 9 भाजपा विधायकों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है.

  1. शिवराज चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 19 मार्च तक के लिए टाल दी है.
  2. कांग्रेस ने कहा कि 22 बागी विधायकों के इस्तीफा सौंपने के पीछे भाजपा की साजिश है.
  3. अदालत ने पूछा, 'हम कैसे तय करें विधायकों ने हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं?

कांग्रेस ने बागी विधायकों के इस्तीफे के पीछे भाजपा की साजिश बताई
कांग्रेस ने कहा कि 22 बागी विधायकों के इस्तीफा सौंपने के पीछे भाजपा की साजिश है और इसकी जांच होनी चाहिए. कांग्रेस ने बागी विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की मांग की. भाजपा ने इसका विरोध किया. कोर्ट ने कहा कि 22 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता. उन्हें फैसला लेनी की आजादी होनी चाहिए. कांग्रेस ने राज्यपाल लालजी टंडन पर आरोप लगाया कि वह स्पीकर एनपी प्रजापति पर दबाव बना रहे हैं. कांग्रेस ने दलील पेश की कि फ्लोर टेस्ट करवाना स्पीकर का काम है, यह राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.

बागी विधायकों को भोपाल बुलाने की कांग्रेस की याचिका पर भी सुनवाई 
सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका कांग्रेस विधायकों की है, इसमें बेंगलुरु में ठहरे 22 बागी विधायकों को वापस लाने का निर्देश देने की मांग की गई है. जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल लालजी टंडन के वकील तुषार मेहता, स्पीकर एनपी प्रजापति के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने पैरवी कर रहे हैं.

कांग्रेस ने की उपचुनाव नहीं होने तक फ्लोर टेस्ट न कराने की मांग
कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने कहा, 'मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं और भाजपा ने 109 सीटें. कांग्रेस ने बहुमत के साथ मध्य प्रदेश में 18 महीने सरकार चलाई. भाजपा बलपूर्वक सरकार को अस्थिर कर लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करना चाहती है.' कांग्रेस के वकील दुष्यंत सिंह ने भाजपा पर 16 बागी विधायकों को अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगाया.  इस पर बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि ये झूठ है. कोई हिरासत में नहीं है. सभी विधायक अपनी स्वेच्छा से बेंगलुरु में हैं. उन्होंने कहा, 'बागी विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया है कि वह अपनी इच्छा से बेंगलुरु में हैं. हम सबूत के तौर पर कोर्ट में सीडी पेश करने के लिए तैयार हैं. इस्तीफा देना उनका संवैधानिक अधिकार है, हमने वैचारिक मतभेद के चलते इस्तीफे दिए। इन्हें मंजूर करना स्पीकर का कर्तव्य है.' 

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भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस की मांग का किया विरोध
मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस की मांग का विरोध करते हुए कहा, 'हम अभी कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश चाहते हैं. कांग्रेस 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है. किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है. सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं. जिसके पास बहुमत नहीं है, वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता. यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना है. चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है. यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना जरूरी है कि वे स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं या किसी दबाव में.'

अदालत ने पूछा, 'हम कैसे तय करें विधायकों पर दबाव है या नहीं है?'
कोर्ट ने टिप्पणी की, 'हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है. टीवी पर कुछ देखकर तय नहीं कर सकते. 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता. अब साफ हो चुका है कि वे कोई एक रास्ता चुनेंगे. उन्होंने जो किया उसके लिए स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए. हम संविधान के दायरे में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे.'

रोहतगी बोले, ' विधायकों को जज के चैम्बर में पेश किया जा सकता है'
भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने सुझाव दिया कि सभी 16 बागी विधायकों को जज के चैम्बर में पेश किया जा सकता है. अदालत ने मुकुल रोहतगी से कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, 'आप विकल्प के तौर पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को गुरुवार को विधायकों के पास भेजकर वीडियो रिकॉर्डिंग करा सकते हैं. कांग्रेस चाहती है कि विधायक भोपाल आएं ताकि उन्हें प्रभावित कर खरीद-फरोख्त की जा सके. विधायक उनसे मिलना ही नहीं चाहते तो कांग्रेस क्यों इस पर जोर दे रही है.'

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