तीनों आरोपियों पर भय्यूजी महाराज के आर्थिक और मानसिक शोषण का आरोप है. आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है
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इंदौर/प्रमोद शर्मा: आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज के खुदकुशी के मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनमें उनके खास सेवादार विनायक दुधाले, ब्लैकमेल करने की आरोपी युवती पलक और शरद देशमुख का नाम शामिल है. पुलिस के मुताबिक इन पर धारा 306 आत्महत्या के लिए प्रेरित करने, 120 बी और 384 अवैध वसूली के तहत मामला दर्ज किया है.
तीनों आरोपियों पर भय्यूजी महाराज के आर्थिक और मानसिक शोषण का आरोप है. आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है. डीआईजी ने बताया कि पलक (25) पर आरोप है कि वह कुछ निजी वस्तुओं के आधार पर भय्यू महाराज (50) को ब्लैकमेल कर उन पर शादी के लिए दबाव बना रही थी, जबकि आध्यात्मिक गुरु के दो सहयोगी-दुधाड़े और देशमुख इस काम में युवती की कथित तौर पर मदद कर रहे थे.
बता दें कि 12 जून 2018 को भय्यू महाराज (50) ने यहां बाइपास रोड स्थित अपने बंगले में 12 जून को अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर कथित तौर पर सुसाइड कर लिया था. वहीं भय्यू महाराज के भक्तों ने हत्या की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. वहीं डीआईजी के मुताबिक भय्यू जी महाराज आत्महत्या की वजह को लेकर जांच में पुलिस ने 28 लोगो के बयान के बाद पुलिस विनायक शरद और युवती पलक के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और ब्लैकमेलिंग के लिए मामला दर्ज किया है.
जानिए, क्या है पूरा मामला
भय्यू महाराज का वास्तविक नाम उदय सिंह देशमुख था. वह मध्यप्रदेश के शुजालपुर कस्बे के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनकी पहली पत्नी माधवी की नवंबर 2015 में दिल के दौरे के कारण मौत हो गई थी. इसके बाद उन्होंने वर्ष 2017 में 49 साल की उम्र में मध्यप्रदेश के शिवपुरी की डॉ. आयुषी शर्मा के साथ दूसरी शादी की थी. आयुषी से उन्हें दो महीने की बेटी है.
भय्यू महाराज के शोक संतप्त परिवार में उनकी मां कुमुदिनी देशमुख (70) और पहली पत्नी से जन्मी बेटी कुहू (17) भी है. भय्यू महाराज (50) ने अपने बाइपास रोड स्थित बंगले में 12 जून को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. कथित सुसाइड नोट के एक हिस्से में उन्होंने लिखा कि वह भारी तनाव से तंग आने के कारण जान दे रहे हैं. उनकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. इसी के साथ भय्यू महाराज ने इस सुसाइड नोट के दूसरे पन्ने में अपने आश्रम, प्रॉपर्टी और वित्तीय शक्तियों की सारी जिम्मेदारी अपने वफादार सेवादार विनायक को देने की बात लिखी थी.