पहले उत्तराखंड में ऑटो और बसों का किराया बढ़ाया गया था. स्वास्थ्य सेवाओं के महंगा होने और शराब के दामों को कम करने को कांग्रेस पार्टी ने मुद्दा बनाया है.
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देहरादून: उत्तराखंड में एक ओर जहां स्वास्थ्य और परिवहन सुविधाएं महंगी हुई हैं, तो वहीं दूसरी ओर शराब की कीमतें कम हुई हैं. त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले पर राज्य के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाएं और बसों में सफर सस्ता होना चाहिए, लेकिन सरकार शराब की कीमतों में कटौती कर रही है. आपको बता दें कि त्रिवेंद्र कैबिनेट ने हाल ही में उत्तराखंड में शराब की कीमतों में कटौती का फैसला किया है.
इससे पहले उत्तराखंड में ऑटो और बसों का किराया बढ़ाया गया था. स्वास्थ्य सुविधाएं भी महंगी हुई थीं. स्वास्थ्य सेवाओं के महंगा होने और शराब के दामों को कम करने को कांग्रेस पार्टी ने मुद्दा बनाया है. पौड़ी-गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत ने भी कहा है कि राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा शराब से नहीं बल्कि पर्यटन के विकास से मिलेगी. हमें राज्य के पर्यटन पर ध्यान देना चाहिए.
दूसरे राज्यों से आ रही थी शराब
आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में उत्तराखंड में शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों के मुकाबले महंगी हो गई थीं. इसकी वहज उत्तराखंड सरकार की आबकारी पॉलिसी थी. उत्तराखंड में शराब की कीमतें हिमाचल और उत्तरप्रदेश के मुकाबले 15 से 20 प्रतिशत महंगी हो गई थीं.
हो रहा था राजस्व को नुकसान
उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने नई आबकारी पॉलिसी लागू कर राज्य में शराब की कीमतों को कम किया है. उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले शराब महंगी होने से माफिया सक्रिय हो गए थे, जिससे दूसरे राज्यों की शराब उत्तराखंड में बिकने लगी थी. इससे राज्य को राजस्व का भारी नुकसान भी हुआ.