महामारी के बीच निजी अस्पतालों की लूट को देखते हुए, एक आम आदमी की भूख हड़ताल शुरू
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महामारी के बीच निजी अस्पतालों की लूट को देखते हुए, एक आम आदमी की भूख हड़ताल शुरू

 शहर में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच निजी अस्पतालों में लूट और वसूली के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. 

महामारी के बीच निजी अस्पतालों की लूट को देखते हुए, एक आम आदमी की भूख हड़ताल शुरू

कर्ण मिश्रा/जबलपुर: शहर में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच निजी अस्पतालों में लूट और वसूली के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. जिनका विरोध अब तेज होने लगा है, तो वहीं शासन और प्रशासन भी इन अस्पतालों पर नकेल नहीं कस पा रहा है. ऐसे में आम व्यक्ति क्या करें? इन्हीं सवालों के साथ जबलपुर में एक समाजसेवी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गया है.

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बता दें कि निजी अस्पतालों की लूट और प्रशासन और शासन की नाकामी को अपनी आंखों के सामने देखने के बाद जबलपुर के अधारताल क्षेत्र के रहने वाले कोमल रैकवार नाम के व्यक्ति ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है. इनकी मांग है कि वर्तमान में निजी अस्पताल कोरोना महामारी के बीच आपदा को अफसर बनाते हुए लोगों से मोटी मोटी रकम वसूल रहे हैं.

मौत के बाद भी मोटा बिल वसूला जा रहा
हालात यह है कि कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो जाने के बाद भी कई घंटों और दिनों तक ऑक्सीजन और दवाई के नाम पर उनके परिजनों से मोटी रकम वसूली जा रही है. जब इन हालातों का विरोध किया जाता है या परिजन बिल चुकाने में सक्षम नहीं होते हैं तो ऐसे लोगों को उनके परिवार के सदस्य की मृत्यु हो जाने के बाद भी शव तक नहीं दिया जाता. जब तक काली कमाई की मोटी रकम वसूल ना कर ली जाए. 

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खाली बेड के नाम पर मोटी कमाई
गौरतलब है कि जबलपुर शहर में इन दिनों 50 से अधिक निजी अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार भी सभी निजी अस्पतालों को कोरोना इलाज के लिए आवश्यक खर्चों की जानकारी डिस्प्ले करने का आदेश जारी कर चुका है. आवश्यक सभी जांच की दर भी निर्धारित कर दी गई है, उसके बावजूद हकीकत में हालात बिल्कुल इसके विपरीत बने हुए हैं. दरअसल सरकार के शासकीय अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बेड ही उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते मरीज थक हार कर निजी अस्पतालों की चौखट पर ही दस्तक देता है. जहां उनसे इसके एवज में लाखों रुपये वसूले जाते है. 

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