कोरोना महामारी में गरीबों के 'मसीहा' हैं ये डॉक्टर, लेते हैं सिर्फ 10 रुपए फीस
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कोरोना महामारी में गरीबों के 'मसीहा' हैं ये डॉक्टर, लेते हैं सिर्फ 10 रुपए फीस

डॉ. मल्हार बताते हैं कि उनके पिता ने उन्हें भगवद गीता के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए समझाया कि समाज के लिए डॉक्टर की क्या अहमियत है.

कोरोना महामारी में गरीबों के 'मसीहा' हैं ये डॉक्टर, लेते हैं सिर्फ 10 रुपए फीस

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के इस संकट में वैसे तो सभी लोग परेशान हैं लेकिन गरीबों को ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल वह महंगा इलाज वहन नहीं कर सकते. ऐसे में इन लोगों के वो डॉक्टर किसी मसीहा से कम नहीं है, जो कम फीस लेते हैं. ऐसे ही एक मसीहा हैं कर्नाटक के कलबुर्गी में रहने वाले डॉ. मल्हार राव मल्ले. बता दें कि यह हाल तक अपने मरीजों से 10 रुपए फीस लेते रहे हैं.

कैसे हुई इस सेवाभाव की शुरुआत
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, डॉ. मल्हार बताते हैं कि उन्होंने 1974 में अपनी एमबीबीएस की डिग्री पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने कई साल तक प्रैक्टिस भी की. इस दौरान उन्होंने प्रोफेशन बदलने की सोची और वकालत की डिग्री हासिल की. जब वह अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू करने वाले थे, तभी उनके पिता ने उन्हें भगवद गीता के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए समझाया कि समाज के लिए डॉक्टर की क्या अहमियत है. उनकी सलाह के बाद उन्होंने फिर से डॉक्टर की प्रैक्टिस शुरू कर दी और बहुत कम फीस पर वह लोगों का इलाज करने लगे. 

शुरुआत में लेते थे 3 रुपए
डॉ. मल्हार बताते हैं कि शुरुआत में वह अपने मरीजों से सिर्फ 3 रुपए फीस लेता था. लेकिन 1995 में उदारवाद का दौर शुरु हुआ और उसके बाद महंगाई बढ़ी तो उन्होंने अपने मरीजों से 10 रुपए बतौर फीस लेनी शुरू कर दी. बीते साल अक्टूबर तक वह अपने मरीजों से 10 रुपए ही फीस लेते थे. अब जाकर उन्होंने इसे 20 रुपए किया है. 

डॉ. मल्हार की बेटी भी एमबीबीएस डॉक्टर है और उन्होंने अपने पिता से कंसल्टेशन फीस बढ़ाने को कहा था लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया. डॉ. मल्हार रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ भी जनसेवा के कई काम कर चुके हैं. उन्होंने 142 ब्लड कैंप और 62 हेल्थ कैंप आयोजित किए. खुद वह 62 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं. 

75 साल की उम्र में भी वह मरीजों को देखते हैं. पहले वह पूरा दिन मरीजों को देखते थे लेकिन अब बढ़ती उम्र के चलते कुछ घंटे ही मरीजों को देखते हैं. ऐसे समय में जब डॉक्टरों की कंसल्टेशन  फीस 1000 रुपए तक पहुंच गई है, वहां डॉ. मल्हार का नाम मात्र की फीस में लोगों का इलाज करना किसी समाज सेवा से कम नहीं है. कोरोना महामारी के इस दौर में देश को डॉ. मल्हार जैसे समाजसेवी डॉक्टरों और जरूरत है. डॉ. मल्हार को उनके कामों के लिए कई अवार्ड से नवाजा जा चुका है.

  

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