कोरबा जिले में ग्रामीणों की जान बचाने और फसलों की सुरक्षा करने में अब मधुमक्खियां अहम भूमिका निभाने वाली हैं.
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नीलम पड़वार/कोरबा: कोरबा जिले में ग्रामीणों की जान बचाने और फसलों की सुरक्षा करने में अब मधुमक्खियां अहम भूमिका निभाने वाली हैं. जी हां, हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए अब कोरबा वन विभाग मधुमक्खियों की मदद लेने वाली है. इसके लिए कोरबा वन मंडल द्वारा यूनिक पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है.
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हाथियों का उत्पाद जारी
कोरबा जिले में पिछले डेढ़ दशक से हाथियों का उत्पात जारी है. जशपुर और धर्मजयगढ़ के रास्ते हाथियों का दल हर साल कोरबा में दाखिल होता हैं, और जमकर उत्पात मचाते हैं. खास तौर पर करतला और कुदमुरा इलाका हाथियों की चहलकदमी से थर्राया रहता है. पिछले डेढ़ दशक में हाथियों के हमले से 50 से अधिक ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं. वही हजारों एकड़ खेतों की फसल को हाथियों ने तबाह किया है.
अब मधुमक्खियों की मदद ली जाएगी
हाथियों को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा कई प्रोजेक्ट पर काम हुआ है. अब एक बार फिर कोरबा वन मंडल द्वारा हाथियों के आतंक को रोकने के लिए नई कार्ययोजना बनाई गई है. इस बार हाथियों के आतंक को रोकने मधुमक्खियों की मदद ली जाएगी. विभाग द्वारा हैंगिंग बी हाईब फेंसिंग नाम से कार्य योजना तैयार की गई है. जिसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है. कोरबा वन मंडल अधिकारी प्रियंका पांडे की माने तो छत्तीसगढ़ में पहली बार इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है और फंडिंग होते ही योजना पर कार्य शुरू हो जाएगी.
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ऐसे करेगी मदद मधुमक्खी
सरहदी इलाके में तार फेंसिंग लगाकर उसमें मधुमक्खी से भरा प्लेट लटकाया जाएगा. फेंसिंग के संपर्क में आते ही मधुमक्खी हाथियों पर हमला कर देंगी. जिससे हाथियों का दल गांव में नहीं घुस पायेगा और किसान की जान और उनकी फसल को बचाया जा सकेगा. जिसके लिए प्रथम चरण में कुदमुरा के उन इलाकों को इस प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित किया गया है. जहां हाथियों का आना जाना होता है.
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