भिण्ड के पांच मासूम बच्चों की कहानी ज़ी मीडिया पर दिखाई जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया.
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भिंड: ज़ी मीडिया की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है. कोरोना महामारी के चलते माता-पिता गुजर जाने के बाद भीख मांग कर गुजारा करने वाले भिण्ड के पांच मासूम बच्चों की कहानी ज़ी मीडिया पर दिखाई जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और बच्चों तक पहुंच गया. जिसके बाद उन बच्चों को लहार के बाल गृह में लाया गया हैं. बता दें कि भिंड जिले के दबोह क्षेत्र के अमाहा गांव में कोरोना महामारी के चलते राघवेंद्र वाल्मीकि और उनकी पत्नी गिरजा वाल्मीकि की मृत्यु हो जाने से उनके पांच नाबालिक बच्चे अनाथ हो गये थे.
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भीख मांग कर गुजारा कर रहे थे
पांचों बच्चों में सबसे बड़ी सात साल की बेटी निशा अपने चारों भाई बहनों का गांव में भीख मांग कर गुजारा करने लगी. कच्ची टूटी-फूटी झोपड़ी और बरसात के दिनों में श्मशान घाट की टीन शेड में रहकर गुजारा करने वाले बच्चों तक जिला प्रशासन ने किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं की थी. स्थानीय प्रशासन भी बच्चों के पास कोई भी डॉक्यूमेंट उपलब्ध ना होने के चलते मदद के नाम पर हाथ खड़े किए हुए था.
ज़ी मीडिया ने प्रमुखता से दिखाई खबर
जब इस बात की भनक ज़ी मीडिया को लगी तो उसकी खबर प्रमुखता से दिखाने के बाद आज लहार एसडीएम आर ए प्रजापति, एसडीओपी अवनीश बंसल,महिला बाल विकास अधिकारी गफ्फार खान अमहा गांव पहुंचे और कागजी खानापूर्ति कर बच्चों को नए कपड़े पहनाकर लहार के बाल गृह लाया गया. जहां पर उनकी परवरिश और शिक्षा जिला प्रसासन की देख-रेख में मध्य प्रदेश सरकार करेगी.
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हालांकि स्थानीय निवासी बच्चों की पूरी तरीके से बीते तीन माह से मदद कर रहे थे और वह बच्चों को गांव में रहकर की सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए ग्रामीणों ने बच्चों को प्रशासनिक अधिकारियों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ प्रशासन के साथ विदा किया है.
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