आमदनी होगी तो अपना घर परिवार पाल सकेंगे. सरकार मदद करे.
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भोपाल: भोपाल में लगा लॉकडाउन लोगों की मुश्किलों को बढ़ाता जा रहा है. ख़ासकर उन लोगों के लिए जो रोज़ कमाते रोज खाते हैं.बाजार बंद होने की वजह से छोटे बड़े सभी कारोबारी परेशान हैं.
परेशान मछुआरे
भोपाल के बड़े तालाब के किनारे बोट क्लब है जो हमेशा गुलज़ार रहता था. जहां अब सन्नाटा पसरा रहता है. यहां दुकान लगाने वाले कारोबारी ठेले खोमचेवाले बोट वालों के साथ-साथ बड़े तालाब में मछली मार कर गुज़र करने वाले मछवारे भी खासे परेशान हो गए है. तालाब किनारे मछली का जाल सुलझाते सुलझाते मछवारे ये उम्मीद लगाए हैं कि जल्दी से जिंदगी का जाल भी सुलझ जाए तो क्या बात है.
काम धंधा नहीं करेंगे तो क्या खाएंगे
मछली पकड़ने का ही काम करना करने वाले गोपाल रायकवार के बताते हैं कि वो मछली मार के 100 से डेढ़ सौ रुपए कमाते हैं. उसी से खर्चा चल रहा है. बस काम धंधे सब बंद पड़े हुए हैं. काम धंधा नहीं करेंगे तो क्या खाएंगे. कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा. सरकार से यह चाहते हैं लॉकडाउन खोलें काम धंधा करने दें. कम से कम गरीबों को तो खाने दें. गरीब आदमी नहीं खाएगा तो क्या होगा. घर से आओ तो पहले जांच कराओ फिर जाने देते हैं. रोज का यही काम है दिनभर पुलिस वाले परेशान करते हैं.
लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी
मछुआरा महेश बताते हैं कि बीते साल लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे तो गाड़ी पटरी पर आई थी.लॉकडाउन ने कमर तोड़ रखी है. कभी मछली मिलती है कभी नहीं मिलती है. कभी आठ 8 दिन नहीं मिलती है मछली. ऐसा कभी सोचा नहीं था इतनी बड़ी मुसीबत आएगी. पिछले साल क्या पानी कम था तो मछली मिल जाती थी. इस बार पानी भरा हुआ है इसके कारण मछली नहीं मिलती है. बहुत दिक्कत आ रही है.
बाज़ार बंद है दिक्कतें बढ़ रही है
दरअसल आम दिनों में खुला रहता था तो ग्राहक आते थे. अब लॉकडाउन के कारण रोड बंद कर दिए गए है तो ग्राहक भी नहीं आ रहा है. मछली खरीदने के लिए उससे और दिक्कत आती है पहले मछली मार्केट खुला रहता था .अब मार्केट भी बंद है तो मार्केट में भी नहीं लगा सकते मछली बेचने के लिए. पहले हजार बारह सौ की मछली मिल जाती थी. अब 200 रुपये की भी नहीं मिल रही है.
लॉकडाउन हटने की उम्मीद
मछुआरे सरकार से अब येही चाहते हैं लॉकडाउन जल्दी खुल जाए और मार्केट खुल जाए. ताकि इन्हें मछली मिलती है तो मार्केट में दुकान लगा सकें. जिससे अच्छा रेट मिले. आमदनी होगी तो अपना घर परिवार पाल सकेंगे. अब इसी उम्मीद पर बैठे है कि जल्द ही लॉक डाउन खुले और वे फिर से काम कर सके.
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