विधानसभा में विधायकों-मंत्रियों की ''तू तू-मैं मैं'' बंद, पप्पू ,फेंकू, पाखंड जैसे शब्द नहीं बोल पाएंगे माननीय
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विधानसभा में विधायकों-मंत्रियों की ''तू तू-मैं मैं'' बंद, पप्पू ,फेंकू, पाखंड जैसे शब्द नहीं बोल पाएंगे माननीय

मध्यप्रदेश में विधानसभा (MP Assembly) का मॉनसून सत्र शुरू होने के साथ ही सचिवालय ने माननीयों की जुबान पर लगाम लगाने की तैयारी पूरी कर ली. 

सांकेतिक तस्वीर

आकाश द्विवेदी/भोपाल: मध्यप्रदेश में विधानसभा (MP Assembly) का मॉनसून सत्र शुरू होने के साथ ही सचिवालय ने माननीयों की जुबान पर लगाम लगाने की तैयारी पूरी कर ली. अब विधानसभा में माननीय असंसदीय शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे. आज विधानसभा में सीएम शिवराज ने असंसदीय शब्द एवं वाक्यांश संग्रह का विमोचन किया. इस संग्रह में करीब बारह सौ ऐसे शब्द है जिन्हें विधायक विधानसभा में नहीं बोल सकेंगे. इस अवसर पर मध्‍यप्रदेश विधानसभा अध्‍यक्ष गिरीश गौतम ​(Girish Gautam) भी मौजूद रहे.

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विधानसभा जनता की आस्था का केन्द्र
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इस मौके पर कहा कि जिस तरह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र, उसी तरह विधानसभा जनता की आस्था का केंद्र है. अध्यक्ष ने कहा जिस दिन मुझे विधानसभा की बहस के अंदर एक भी अमर्यादित शब्द नहीं मिलेगा उसी दिन इस किताब को हटा दूंगा. सदस्यों को ऐसा कोई अमर्यादित शब्द नहीं बोलना चाहिए. जिसको बोलने के बाद दूसरे का अपमान हो. 

विधानसभा के सदस्य जनता के हीरो
अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा के सदस्य जनता के हीरो हैं,रोल मॉडल हैं, लेकिन यहां रीटेक नहीं मिलता जो बात मुंह से निकल गई वहीं अंतिम होती है. मुझे ऐसा विश्वास है कि अब मुझे कुछ भी विलोपित नहीं करना पड़ेगा सभी मर्यादित आचरण करेंगे.

सीएम शिवराज सिंह चौहान बोले
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किताब का विमोचन करते हुए बोला कि विधानसभा या लोकसभा लोकतंत्र के पवित्र मंदिर हैं. ईंट और गारे के भवन नहीं हैं. यहां प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष को अपने तर्क रखने का आधिकार तथ्यों के साथ, तर्कों के साथ, जोर देकर, वजनदारी के साथ है. कई बार हम जिन शब्दों का चयन कर जाते हैं, उससे देखने और सुनने वाला निराश हो जाता है. मैं मध्‍यप्रदेश विधानसभा अध्‍यक्ष गिरीश गौतम का अभिनंदन करता हूँ जिन्होंने यह अभिनव पहल की और असंसदीय शब्दों के एक कोष का आज विमोचन किया.

पुस्तिका पहले तैयार होनी थी
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह का कहना हैं कि इन शब्दों को पहले ही असंसदीय घोषित करना चाहिए था और यह पुस्तिका पहले ही तैयार जानी चाहिए थी. क्योंकि सदन की मर्यादा को बनाए रखना बहुत जरूरी है. इसलिए यह जरूरी था. 

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1161 शब्दों की सूची 
असंसदीय शब्दों में जैसे कांव-कांव, चापलूसी कर लेने दो ,पप्पू ,फेंकू ,बंटाधार इसके अलावा कई वाक्यांश भी हैं जिन्हें असंसदीय घोषित किया गया है. इसके अलावा जैसे यह माफिया लोग हैं ,चोर की दाढ़ी में तिनका ,भाजपाइयों के पास रेमंड का सूट है, भ्रष्टाचार का पैसा आपके पास है ,पाखंड की राजनीतिक कब छोड़ेंगे, किसानों का मुद्दा टांय टांय फुस्स हो गया है, पप्पू पास हो जाएगा, चड्डी वाला, गोलमाल, मुर्गा और दारू में पैसे खत्म कर देते हैं, सोच में शौच भरा है, फर्जी पत्रकार, आपने चड्डी पहनी है क्या, चूहे, गुंडे बदमाश, तानाशाह, तानाशाही, शर्म आनी चाहिए, लल्लू मुख्यमंत्री, फटे में पांव क्यों डाल रहे हो, गोबर गणेश, लिस के कुत्ते, असभ्य, मूर्ख, सड़क छाप जनसंघी, गाय और भैंस दूध देने लगे हैं, इस तरह के वाक्यांश भी विधानसभा में प्रयोग नहीं किए जा सकेंगे. 

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