किसानों के समर्थन में नक्सली, नवजनवादी क्रांति से उत्पीड़ित जनता को आजादी दिलाने की बात
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किसानों के समर्थन में नक्सली, नवजनवादी क्रांति से उत्पीड़ित जनता को आजादी दिलाने की बात

सड़कों पर गिरे पोस्टरों में लिखा गया कि मोदी सरकार कृषि कानूनों को लाकर किसानों को गुलाम बनाना चाह रही है.

किसानों के समर्थन में नक्सली, नवजनवादी क्रांति से उत्पीड़ित जनता को आजादी दिलाने की बात

बीजापुरः देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से पैर पसार चुकी है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के हालात खराब होते जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन अब भी जारी है. उनके सपोर्ट में उतरते हुए बीजापुर जिले में नक्सलियों ने बैनर और पोस्टर लगाए, जो सरकार विरोधी नारों को दर्शा रहे हैं.

सड़क पर फेंके बैनर और पोस्टर
नक्सलियों ने जिले के भैरमगढ़ बस्ती में जनपद पंचायत कार्यालय के पास ये हरकत की. उन्होंने यहां नेशनल हाईवे के किनारे सरकार विरोधी संदेश बोर्ड और पोस्टर सड़कों पर फेंके. सड़कों पर गिरे पोस्टरों में लिखा गया कि मोदी सरकार कृषि कानूनों को लाकर किसानों को गुलाम बनाना चाह रही है.

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26 अप्रैल को भारत बंद
नक्सलियों ने पोस्टरों के जरिए संदेश दिया कि नवजनवादी क्रांति से ही भारत की जनता को हर तरह की उत्पीड़न से आजादी मिलेगी. उन्होंने कृषि आंदोलन के समर्थन और केंद्र सरकार के विरोध में 26 अप्रैल को भारत बंद करने का आह्वान किया. बताया गया है कि यह पोस्टर माओवादी संगठन 'दक्षिण सब जोनल ब्यूरो' के नाम से सड़कों पर फेंके गए.

क्या है किसान आंदोलन
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पिछले साल सितंबर में तीन नए कृषि सुधार कानूनों को दोनों सदनों में पास करा लिया गया था. जिसका विरोध करते हुए देश भर के किसान सड़कों पर आ गए, उन्होंने दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर आकर नवंबर 2020 से ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. वे तब से दिल्ली में बैठ कर आंदोलन कर रहे हैं.

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उनका कहना है कि तीनों कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसलिए उन्हें रद्द किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार और किसानों के बीच कई दौरों की बातचीत होने के बाद भी अभी तक हल नहीं निकला. जिस कारण वे अब भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. उन्हीं के आंदोलन का सहारा लेकर अब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सरकार को निशाना बनाया है.

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