क्या सचमुच निजीकरण की तरफ जा रही है सरकार? जानिए क्या है हकीकत
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क्या सचमुच निजीकरण की तरफ जा रही है सरकार? जानिए क्या है हकीकत

सरकार एक लाख करोड़ सरकारी कंपनियों को बेचकर जुटाएगी, जैसे बैंक और इंश्योरेंस कंपनी आदि. वहीं 75 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर जुटाए जाएंगे. 

पीएम मोदी. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः केन्द्र सरकार ने एक फरवरी को पेश किए बजट में दो सरकारी बैंकों और एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही सरकार ने जीवन बीमा निगम लिमिटेड में भी विनिवेश करने की बात कही है. हालांकि किन दो सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा यह अभी तक सरकार ने साफ नहीं किया है. वहीं इस ऐलान के बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर देश में निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगा दिया है. 

क्यों सरकारी बैंकों और इंश्योरेंस कंपनी को बेच रही है सरकार?
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 2.10 लाख करोड़ रुपए विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा था. हालांकि कोरोना महामारी के चलते सरकार इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकी. अब वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने 1.75 लाख रुपए विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए सरकार, सरकारी कंपनियों या बैंकों को बेचने और साथ ही सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने की योजना बना रही है.

सरकार एक लाख करोड़ सरकारी कंपनियों को बेचकर जुटाएगी, जैसे बैंक और इंश्योरेंस कंपनी आदि. वहीं 75 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर जुटाए जाएंगे. सरकार की योजना बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आइडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड में रणनीतिक तरीके से कुछ हिस्सेदारी बेचेगी. 

बता दें कि निजीकरण का मतलब सरकार द्वारा किसी सरकारी कंपनी में अपनी अधिकतर हिस्सेदारी किसी प्राइवेट कंपनी को बेच देना है, वहीं विनिवेश का मतलब सरकारी कंपनी में कुछ हिस्सेदारी बेचना है लेकिन इसमें सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा होती है. सरकार का कहना है कि उनका उद्देश्य सरकारी कंपनियों की संख्या कम करना और निजी क्षेत्र के लिए नए अवसर तैयार करना है.  

सरकार ने बतायी वजह
सरकार का कहना है कि सरकारी बैंक या कंपनियां कई बार खजाने पर काफी बोझ डालते हैं क्योंकि सरकार को उन्हें समय समय पर संकट से उबारने के लिए पूंजी (Re-capitalization) देनी पड़ती है. जिससे सरकार को राजस्व की बचत होगी. विनिवेश से सरकार के पास काफी पैसा आ जाएगा, जिसे सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर सकती है. निजीकरण से कंपनी की कार्यक्षमता में भी बढ़ेगी. 

ढांचागत विकास के लिए पैसा जुटा रही सरकार
सरकार की योजना देश में ढांचागत विकास को गति देने की है. कोरोना के कारण सरकार का राजस्व घटा है. जीडीपी में भी गिरावट आयी है. ऐसे में अर्थव्यवस्था को गति देने और आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार ने ढांचागत विकास के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. इस ढांचागत विकास के तहत सरकार सड़कों, हाईवे, रेल इंफ्रास्ट्रक्चर, शहरी इंफ्रास्ट्रक्च, बिजली, बंदरगाह आदि विकसित करेगी. सरकार ने इस ढांचागत विकास के लिए अगले तीन सालों में 5 लाख करोड़ रुपए का फंड जुटाने का लक्ष्य रखा है.

एलआईसी का आईपीओ लाएगी सरकार 
सरकार ने एलआईसी का आईपीओ लेकर आएगी. सरकार को इससे भारी राशि मिलने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि यह शेयर मार्केट इतिहास का काफी बड़ा आईपीओ होगा. एलआईसी के पास करीब 32 लाख करोड़ रुपए की एसेट्स हैं. इसलिए सरकार को एलआईसी के विनिवेश से काफी पैसा मिल सकता है. इसके साथ ही एलआईसी देश की सबसे बड़ी मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में भी सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन जाएगी. 

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