बिजली विभाग का सामान कुर्क करने पहुंची अदालत, अधिकारियों में मची खलबली
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बिजली विभाग का सामान कुर्क करने पहुंची अदालत, अधिकारियों में मची खलबली

बिलों की वसूली के लिए अक्सर आम लोगों, किसानों के सामानों की कुर्की करने वाले बिजली विभाग खुद सांसत में आ गया. विभाग का सामान जब्त करने वकील और कोर्ट के कर्मचारी बिजली विभाग के दफ्तर पहुंच तो अफरा-तफरी मच गई.

बिजली विभाग में कार्यवाही करते कोर्ट के कर्मचारी, इनसेट-पीड़ित महिला

इरशाद हिंदुस्तानी/ बैतूल: बिलों की वसूली के लिए अक्सर आम लोगों, किसानों के सामानों की कुर्की करने वाले बिजली विभाग खुद सांसत में आ गया. विभाग का सामान जब्त करने वकील और कोर्ट के कर्मचारी बिजली विभाग के दफ्तर पहुंच तो अफरा-तफरी मच गई. विभाग के कर्मचारियों ने हाथ पैर जोड़कर और लिखित आश्वासन देकर किसी तरह अपना पीछा छुड़ाया.

मामला बैतूल के मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के बैतूल दक्षिण संभाग का है. सीजीएम कोर्ट द्वारा तैनात मचकुरी (आदेश वाहक) और अधिवक्ता संतोष राठौर कोर्ट के कई कर्मचारियों को लेकर बिजली दफ्तर की चल संपत्ति कुर्क करने पहुंच गए. कर्मचारी आफिस के लैपटॉप, कंप्यूटर, टेबल कुर्सी, पंखे व अन्य उपकरण की कुर्की करने पहुंचे थे. उन्होंने वहां मौजूद कर्मचारियो को जैसे ही कोर्ट का वारंट दिखाया, उनके होश उड़ गए. आनन-फानन में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया और फिर एक पत्र सौंपा गया कि वे 13 तारीख तक रकम चुका देंगे. विभाग के सेक्शन ऑफिसर आरके सोनी के लिखित पत्र के बाद अदालत द्वारा भेजा गया दल खाली लौट आया.

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इसलिए होनी थी कुर्की
दरअसल, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के दक्षिण संभाग अंतर्गत भैसदेही तहसील के नवापुर गांव में 12 साल पहले सितंबर 2009 में किसान परेश चढोकार की खेत में करंट लगने से मौत हो गई थी. इसके पहले किसान द्वारा झूलते तारों को खतरनाक बताते हुए कई बार बिजली विभाग को जानकारी दिया था, लेकिन कोई सुधार कार्य नहीं किया गया. यह तार किसान की मौत की वजह बन गया. इस मामले में किसान की पत्नी गीता चढोकार ने अदालत की शरण ली थी. सबसे पहले यह मामला जिला उपभोक्ता फोरम में डाला गया था, लेकिन यहां से प्रकरण खारिज हो गया. इसके बाद किसान की पत्नी प्रथम व्यवहार न्यायाधीश बैतूल पहुंची. यहां भी उनका क्षतिपूर्ति दावा खारिज कर दिया गया. अंत में पत्नी ने जिला अदालत में पति की मौत को लेकर क्षतिपूर्ति राशि दिलाने का प्रकरण दायर किया था. यहां जिला अदालत ने किसान की पत्नी को सवा छह लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश बिजली विभाग को दिए थे. लेकिन जिला अदालत के इस आदेश के बावजूद बिजली विभाग ने यह रकम किसान की पत्नी को नहीं दी. जिसकी वजह से किसान की पत्नी ने पुनः इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में राशि दिलाने के लिए प्रकरण पेश किया था. लेकिन यहां भी बिजली विभाग अदालत को बार-बार गुमराह करता रहा कि वह हाई कोर्ट से इस मामले में स्थगन ला रहा है लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

अंत में गुरुवार को सीजीएम कोर्ट बैतूल ने किसान की पत्नी को क्षतिपूर्ति की राशि ना चुकाने के कारण बिजली विभाग के सामान जब्त करने के आदेश का वारंट देकर उनके वकील और न्यायालय के कर्मचारियों को बिजली दफ्तर भेजा था. बिजली दफ्तर भेजे गए कर्मचारियों को आदेश किया गया था कि वह सवा 6 लाख की राशि की वसूली के लिए बिजली विभाग के लैपटॉप, कंप्यूटर, टेबल, कुर्सी, पंखे और बाकी उपकरण कुर्क कर लें.

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बिजली विभाग ने मांगा समय
फिलहाल विभाग ने इस मामले में 13 तारीख तक का समय मांगा है. मंडल प्रबंधक भूपेंद्र सिंह बघेल का कहना है कि चूंकि रकम 5 लाख से अधिक है. इसलिए इसके भुगतान के लिए उन्हें वरिष्ठ कार्यालय से अनुमति लेनी होगी.

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