जज़्बा: कुछ होनहार युवा सिस्टम से हारे मरीजों को दे रहे है संजीवनी, कोरोनाकाल में लग्जरी गाड़ी को बनाया एंबुलेंस
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जज़्बा: कुछ होनहार युवा सिस्टम से हारे मरीजों को दे रहे है संजीवनी, कोरोनाकाल में लग्जरी गाड़ी को बनाया एंबुलेंस

दुर्ग ज़िले में कुछ होनहार युवा सिस्टम से हारे मरीजों को संजीवनी दे रहे है.

गाड़ी को बनाया एंबुलेंस

दुर्ग: छत्तीसगढ़ में कोरोना बेकाबू होते जा रहा है. हालात यह है कि मरीजों को न तो समय पर ऑक्सीजन मिल पा रहा है न ही एंबुलेंस. सिस्टम की इस नाकामी की वजह से कई मरीज सड़कों पर ही दम तोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे में दुर्ग ज़िले में कुछ होनहार युवा सिस्टम से हारे मरीजों को संजीवनी दे रहे है.
वर्तमान में एम्बुलेंस की भारी किल्लत को देखते हुए युवायों ने अपनी महंगी लग्ज़री गाड़ियों को एम्बुलेंस में तब्दील कर दिया है. इन युवाओं के द्वारा संचालित एंबुलेंस ने सही समय पर कई लोगों को अस्पताल पहुंचाया है.
कोरोना संक्रमण ने जहां अपनों को दूर कर दिया हैं. वहीं पराए लोग मदद को आगे आ रहे हैं. दूसरे के दर्द और मजबूरी को देख शहर के युवा अलग-अलग ढंग से मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं. दूसरे के दर्द को महसूस कर उन्हें मदद करने तरीके ढूंढ निकाले हैं. ऐसे ही भिलाई के कुछ युवाओं ने अपनी लग्जरी गाड़ियों को एंबुलेंस बना दिया है. 

एंबुलेंस की सुविधा नहीं थी
आपको बता दें कि दुर्ग ज़िले में कोरोना के बढ़ते मामले से मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा नहीं हो पा रही थी. ऐसे में भिलाई के कुछ युवाओं ने अपनी लग्जरी कार को एंबुलेंस में बदल दिया. ताकि जरूरत वक्त मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके. भिलाई के के.प्रवीण, सैय्यद और उनके चार दोस्तों ने मिलकर दुर्ग जिले में फ्री एंबुलेंस सेवा शुरू की हैं. जहां सरकारी एंबुलेंस के कर्मचारी कोविड मरीजों को हाथ लगाने से कतराते हैं. ऐसे में यह युवा पीपीई किट पहनकर उन्हें हर तरह से मदद कर रहे हैं.

फ्री में ही अस्पताल पहुँचाते है
युवाओं ने बताया कि पिछले दिनों उनके मोहल्ले में रहने वाले एक परिवार के सदस्य की मौत सिर्फ इसलिए हो गई कि उन्हें समय पर अस्पताल ले जाने वाहन नहीं मिला. जब तक उन तक बात पहुंची तब तक उस शख्स की मौत हो गई थी. उसके बाद उन्होनें तय किया कि वे कोविड मरीजों को फ्री में ही अस्पताल पहुचाएंगे. 

सोशल मिडिया का सहारा लिया
कार चालक सैय्यद ने बताया कि उन्होंने सोशल मिडिया का सहारा लेकर अपना नंबर वायरल किया. अब तक वे 35 से ज़्यादा मरीजों को अस्पताल पहुंचा चुके हैं. उनका मानना है कि अगर उनकी छोटी सी मदद से किसी का जीवन बच सकता हैं तो यह उनके लिए सबसे बड़ा पुण्य का काम होगा. वह पीपीई किट पहनकर गाड़ी में साथ जाते हैं ताकि परिवार को समय पर मदद मिल सके.

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