MP का वो नेता जो आज तक नहीं हारा विधायकी, सामूहिक सम्मलेन में कराया था बेटा-बेटी का विवाह, PM मोदी से मिली थी तारीफ
एक आलोचक ने मंत्री से कहा था कि गरीब परिवारों की बच्चियों की शादी तो कोई भी करा सकता है. बात तो तब है जब भार्गव अपने बच्चों की शादी भी सामूहिक सम्मेलन में कराएं.
अर्पित पांडेय/नई दिल्लीः Gopal Bhargava Birthday Special: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लोक निर्माण विभाग मंत्री गोपाल भार्गव (PWD Minister Gopal Bhargava Birthday) 1 जुलाई 2021 को 69 साल के हो गए. जन्मदिवस विशेष (Birthday Special) में हम लेकर आए हैं, उनके जीवन के उन किस्सों को जिन्हें हर कोई नहीं जानता. क्षेत्र में शराबबंदी करवाने के लिए महिलाओं को मोगरी बांटने से लेकर अपने बेटा-बेटी का सामूहिक सम्मेलन में विवाह तक. यहां पढ़िए उनके कुछ अनसुने किस्से.
महामारी में खुलवाया अस्पताल
बात इसी साल 2021 की है, जब मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में स्वास्थ्य विभाग को संसाधनों की कमी हो रही थी. मंत्री गोपाल भार्गव के क्षेत्र की जनता को ऑक्सीजन बेड से लेकर वेंटिलेटर और कई तरह की सुविधाओं को अभाव हो रहा था. ऐसे में उन्होंने अपने बेटे अभिषेक के साथ मिलकर 70 बेड का अस्थाई अस्पताल ही खुलवा दिया. उसे कोविड केयर सेंटर बनाया गया और वहां लोगों का मुफ्त इलाज भी हुआ. यहां गरीबों के खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई. साथ ही हॉस्पिटल में डॉक्टर की भर्ती के लिए उन्होंने विज्ञापन छपवाया और वहां काम करने के लिए घर, गाड़ी और तमाम सुविधाओं समेत लाखों का पैकेज भी दिया.
16 हजार बेटियों का कर चुके हैं कन्यादान
गोपाल भार्गव हर साल अपने गृहनगर गढ़ाकोटा में सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन कराते हैं. गोपाल भार्गव अब तक 16 हजार से ज्यादा लड़कियों का कन्यादान कर चुके हैं. उनका यह काम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. आलम यह है कि अब उनके क्षेत्र की जनता उन्हें बालिकाओं के पिता के रूप में देखने लगी है, वहीं जो लड़कियां उन्हें पिता का दर्जा देती हैं उनकी संतान उन्हें नाना कहकर पुकारती हैं.
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2003 से हुई थी शुरुआत
गोपाल भार्गव बुंदेलखंड जैसे गरीब इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं, क्षेत्र के लोग बताते हैं कि जब साल 2003 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और गोपाल भार्गव पहली बार मंत्री बने, यह तब का किस्सा है. उनके गृहनगर गढ़ाकोटा में एक गरीब महिला अपनी बेटी की शादी तो तय कर चुकी थी लेकिन उसके पास शादी के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. जब भार्गव को यह बात पता चली तो उन्होंने न सिर्फ सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया बल्कि इस तरह की गरीब लडकियों का पिता के रूप में कन्यादान का सिलसिला भी शुरू किया. मंत्री गोपाल भार्गव अब तक 15 सामूहिक विवाह आयोजित कर करीब 15 हजार जोड़ों की शादी करवा चुके हैं. 1985 से चुनाव जीतते आ रहे भार्गव कैबिनेट मंत्री हैं और उनके अभियान में कई लोग भागीदार बने हैं.
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सामूहिक सम्मेलन में किया बेटे-बेटी का विवाह, पीएम मोदी से मिली तारीफ
खास बात यह है कि गोपाल भार्गव ने अपने इकलौते बेटे अभिषेक भार्गव और बेटी अवंतिका की शादी भी सामूहिक विवाह सम्मलेन से ही की थी. जिसको लेकर उनका अपने पिता से ही विवाद हुआ था. पिता इसके खिलाफ थे. लेकिन गोपाल भार्गव ने सभी बातों को दरकिनार करते हुए और सभी आलोचनओं के बीच अपने बेटे और बेटी का सामूहिक विवाह सम्मेलन में गरीब जोड़ों के साथ एक ही मंडप में विवाह करवाया. 2015 में उनके बेटे अभिषेक और अवंतिका की शादी भी सामूहिक विवाह सम्मेलन में हुई थी. उनकी इस पहल की सराहना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भार्गव और उनके बेटे अभिषेक को दिल्ली बुलाकर मोदी ने शुभकामनाएं दी थीं.
अपने बेटे और बेटी की शादी सामूहिक विवाह सम्मेलन में करवाने पर भार्गव का कहना है कि यह सामाजिक समरसता के लिए किया गया प्रयास है. भार्गव का कहना है कि चार साल पहले उन्हें किसी आलोचक की एक टिप्पणी खल गई थी, जिसमे उसने कहा था कि गरीब परिवारों की बच्चियों की शादी तो कोई भी करा सकता है. बात तो तब है जब भार्गव अपने बच्चों की शादी भी कराएं. आलोचना की इसी चुभन ने भार्गव को इस फैसले तक पहुंचाया. बता दें कि भार्गव पिछले 14 साल से गरीब परिवारों की बच्चियों की शादी करवा रहे हैं.
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शराबबंदी के लिए दुल्हनों को मोगरियां बांटी
2017 में हुए सामूहिक सम्मेलन में गोपाल भार्गव ने शराबबंदी के लिए अनोखी पहल की. गोपाल भार्गव ने शराबबंदी के पक्ष में दुल्हनों को मोगरी दी और कहा कि यदि पति शराब पीकर आएं तो उन्हे धो देना. जिस तरह क्रिकेट का बेट होता है उसी तरह बुंदेलखंड में लकड़ी के मोटे टुकड़े को मोगरी कहा जाता, जिसे कपड़ा धोने में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन भार्गव द्वारा दिए गए उपहार मोगरी पर तरह-तरह के स्लोगन भी लिखे गए, जिनपर 'पुलिस नहीं बोलेगी, शराबियों की सुटारा हेतु भेंट' आदि लिखा है. इसे लेकर लोग कई प्रकार की बातें करते नजर आए. लेकिन इसके मायने यही है कि मंत्री भार्गव भी नहीं चाहते कि कोई भी व्यक्ति शराब पिए. उन्होंने दुल्हनों से कहा कि यदि पति शराब पीकर आएं तो पहले समझाना, यदि न मानें तो मोगरी का इस्तेमाल करना. खास बात यह है कि उनकी यह खबर 150 से ज्यादा देशों की खबर बनी थी.
आदिवासी लड़की के यहां बेटा होने पर बुंदेलखंड की परंपरा का किया पालन
गोपाल भार्गव से जुड़ा एक और किस्सा चर्चित है. भार्गव ने 2005 के सामूहिक विवाह सम्मेलन में अपने विधानसभा क्षेत्र के दुधौनिया गांव की एक आदिवासी कन्या का कन्यादान किया. जब महिला ने बेटे को जन्म दिया तो बुंदेलखंड की परम्परा के अनुसार एक महिला, मंत्री के घर गुड़ के लड्डू लेकर पहुंची और बताया कि दो साल पहले उनकी बेटी की शादी आपने ही सामूहिक विवाह सम्मेलन में करवाई थी. अब आप नाना बन गए हैं इसलिए लड्डू लेकर आई हूं. इसके बाद वे बुंदेलखंड की परम्परा के अनुसार उस आदिवासी महिला के घर पथ यानि जन्मोत्सव के समय दिए जाने वाले उपहार लेकर पहुंचे और तब से ही उन्हें नाना के रूप में पुकारे जाने लगा. खास बात यह है कि अपने नाती के होने पर भी उन्होंने इस पंरपरा का पालन किया और पूरे विधानसभा क्षेत्र में लड्डू बटवाएं थे.
गृहनगर को बनाया स्मार्ट
गोपाल भार्गव ने अपने गृहनगर गढ़ाकोटा कस्बा को राज्य की पहली स्मार्ट वाई-फाई सिटी बनाया. यहां के निवासियों को अब मुफ्त में इंटरनेट सुविधा मिलती है. गोपाल भार्गव ने गढ़ाकोटा नगर पालिका को स्मार्ट वाई-फाई सिटी बनाने की योजना का शुभारंभ किया था. गढ़ाकोटा मध्यप्रदेश की पहली नगरपालिका है, जहां सभी को मुफ्त इंटरनेट सेवा मिलने की शुरुआत हुई थी. गोपाल भार्गव अपने इसी तरह के कामों के लिए जाने जाते हैं वह लगातार आठ चुनाव जीत चुके हैं.
कोविड के चलते नहीं मनाएंगे बर्थडे
खास बात यह है कि इस बार कोरोना के चलते गोपाल भार्गव ने अपना बर्थडे नहीं मनाने की बात कही है. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि कोरोना में हमने अपने बहुत से लोगों को खोया है. ऐसे में हम उन दुखी परिवारों के साथ है. इसलिए उनके जन्मदिन पर किसी भी प्रकार का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाए.
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एक लड़का और तीन बेटियां
एक जुलाई 1952 को सागर जिले के रहली में शंकरलाल भार्गव के यहां गोपाल भार्गव का जन्म हुआ. 1970 में सागर विश्वविद्यालय (Sagar University) से बीएससी (BSc) करने के बाद उन्होंने एमए (MA) और एलएलबी (LLB) की डिग्री भी हासिल की. कृषि एवं सिनेमा व्यवसाय से संबंध रखने वाले मंत्री भार्गव ने रेखा भार्गव से विवाह किया. उनका एक बेटा व तीन बेटियां हैं.
छात्र नेता से मंत्री तक ऐसा रहा सफर
1970 में छात्र नेता बनने के बाद 1982 में पहली बार गढ़ाकोटा नगरपालिका के अध्यक्ष बनें. 1985 में रहली विधानसभा से चुनाव जीता, पिछले 8 बार से लगाातार चुनाव जीत रहे हैं. 2003 में पहली बार मंत्री बनें. 15 सालों तक मंत्री रहने के बाद 2018 में सरकार जाने पर नेता प्रतिपक्ष बने. 2020 में बीजेपी की सरकार पर बनने के बाद उन्हें फिर मंत्री बनाया गया. गोपाल भार्गव फिलहाल मध्य प्रदेश में शिवराज मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं. उन्हें लोक निर्माण विभाग दिया गया है.
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