बेटी अपने पिता को अपना रोल मॉडल बताते हुए कहती हैं कि उनके सपोर्ट के बिना यह मुमकिन नही था.
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पीताम्बर जोशी/ होशंगाबाद: आज फादर्स डे है. पिता बच्चों के सपने को पूरा करने वाले जीवन का नाम है. मां के बराबर अगर किसी का दर्जा है तो वो है पिता. माता-पिता की जगह इंसान के जीवन में कभी कोई नहीं ले सकता. मां अपने प्यार से बच्चे को सींचती है तो पिता उसका संरक्षक होता है. माता-पिता अपने बच्चों के जीवन को संवारने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है. ऐसा ही कुछ हुआ है होशंगाबाद में.
बेटी का सपना पूरा करने में जुटे पिता
होशंगाबाद के अधिवक्ता दीपक तिवारी अपनी वकालत छोड़कर वह बेटी आध्या के जीवन को संवारने में जुटे हुए हैं. दीपक तिवारी अपनी बेटी आध्या को सॉफ्ट टेनिस का देश का सबसे बेहतर खिलाड़ी बनाने में जुटे हैं. ये एक पिता की ही भावना है कि भगवान को इस बात के लिए धन्यवाद देते नहीं थकते की ईश्वर ने उन्हें आध्या जैसी बेटी दी.
सबसे ज्यादा मैडल जीतने वाली खिलाड़ी
वहीं आध्या भी अपने पिता के सपनों को बचपन से साकार करते हुए आज सॉफ्ट टेनिस में देश की सबसे ज्यादा मैडल जीतने वाली खिलाड़ी बन गई है.
सॉफ्ट टेनिस में देश की पहचान बनी
अपनी बेटी का हुनर देख अधिवक्ता दीपक तिवारी ने आध्या के टेनिस कोर्ट को अपने सपनों की मंजिल बना लिया है. आध्या भी पिता के समर्पण भाव को साकार करती चली गई. आज आध्या सॉफ्ट टेनिस में देश की पहचान बन गई है और यही नहीं एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है.
घण्टों करते है मेहनत
आध्या भी अपने पिता को अपना रोल मॉडल बताते हुए कहती हैं कि उनके सपोर्ट के बिना यह मुमकिन नही था. अब पिता और कोच दीपक तिवारी के साथ आध्या का सपना है कि एशियाड और ओलंपिक में देश का ब्लेजर पहनकर गोल्ड मैडल जीतना और इसी की तैयारी में बेटी और पिता घंटों टेनिस कोर्ट पर बिठाकर मेहनत में जुटे हुए हैं.
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