चौहानी मुक्ति धाम में JCB से खुदाई करवाकर शवों को जलाने की जगह की गई. अब हालात ये है कि श्मशान में शवों को जलाने के लिए एक ही दिन की लकड़ी बची है.
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जबलपुरः देश भर में एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है. वहीं मध्य प्रदेश में भी गुरुवार को करीब 10 हजार से ज्यादा संक्रमितों की पुष्टि हुई और करीब 53 लोगों ने कोरोनो से अपनी जान गंवाई. लेकिन क्या हो, अगर ये आंकड़े झूठ बोल रहे हों? और प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की स्थिति कुछ और ही हो. जबलपुर से सामने आईं तस्वीरों के बाद कुछ इसी तरह की बातें सामने आ रही हैं. यहां तक कि अस्पतालों में बेड की जरूरत महसूस होते ही दलाल भी अपने काम पर लग गए हैं.
आंकड़ों में 8 मौतें, श्मशान में जलीं 61 चिताएं
प्रशासन द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार गुरुवार को जिले में 8 लोगों की मौत हुई. जबकि शहर के दो श्मशान घाटों पर 60 लोगों की चिताएं जलीं, जिनकी कोरोना संक्रमण से मौत हुई. जबकि एक मृतक के परिजन उसका शव अस्पताल में ही छोड़कर चले गए, जिसे बाद में जलाया गया. शहर के मेडिकल कॉलेज और निजी अस्पतालों में 59 लोगों की जान गई, दो लोगों ने कांचघर व गढ़ा में दम तोड़ा. नगर निगम कर्माचारियों ने इन शवों को चौहानी व तिलवारी श्मशान घाट में जलाया.
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जेसीबी से बढ़ाई श्मशान में जगह
जिले में कोविड से मरने वालों को जलाने की जगह भी नहीं मिल रही. यहां चौहानी मुक्ति धाम में जेसीबी से खुदाई करवाकर 15 से 20 शवों को जलाने की जगह की गई. शहर के दूसरे मुक्तिधाम तिलवारा में भी अब कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार किया जाने लगा, कल यहां 7 लोगों को जलाया गया.
लकड़ियां पड़ रहीं कम
जिला कलेक्टर को जानकारी दी गई है कि चौहानी मुक्तिधाम में संक्रमितों को जलाने के लिए लकड़ियां भी कम पड़ने लगी हैं. यहां बची लकड़ियों से अब एक दिन ही काम चल पाएगा. मुक्तिधाम में एक शव जलाने के लिए करीब ढाई से तीन क्विंटल लकड़ी की आवश्यकता होती है, अगर आज ही लकड़ियों का इंतजाम नहीं हुआ तो परेशानियां खड़ी हो जाएंगी.
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बेड की कालाबाजारी भी हो गई शुरू
भ्रष्टाचारी यहां भी नहीं मान रहे हैं, अस्पतालों में बेड की दलाली देखने को मिलने लगी है. कटनी से इलाज कराने आए एक मरीज के परिजन बुधवार रात भर परेशान होते रहे. अंत में एक दलाल को 15 हजार रुपए देने के बाद मरीज को इलाज के लिए जगह मिली. परिजन खुल कर दलाल की शिकायत भी नहीं कर रहे हैं, उनका कहना है कि ऐसा करने से इलाज में दिक्कतें पैदा की जाएंगी.
कार में मरीज को रखकर इंतजार कर रहे परिजन
शहर में सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों में बेड भी खाली नहीं रह गए, कुछ प्राइवेट अस्पतालों के बाहर तो परिजन मरीजों को रखकर बेड खाली होने का इंतजार कर रहे हैं. जिले के 4,614 एक्टिव मरीजों में 2,082 की हालत क्रिटिकल हैं. 764 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है और 1602 मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड पर. शहर के किसी भी अस्पताल में न तो वेंटिलेटर वाले बेड बचे हैं और न ही ऑक्सीजन सपोर्ट वाले. ऐसे में अगर मरीजों की संख्या और बढ़ी तो परेशानियां भी विक्राल हो जाएंगी.
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