वैज्ञानिकों ने बताया कि स्पैनिश फ्लू एक इन्फ्लुएंजा महामारी थी, जिसने साल 1918-20 के दौरान पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया था. इस महामारी का शिकार अधिकतर युवा और स्वस्थ लोग बने थे.
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नई दिल्लीः सर्दी के मौसम में खांसी-जुकाम को लोग हल्के में लेते हैं और आमतौर पर इन समस्याओं को लेकर दवाई कम ही लेते हैं. लेकिन अब एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि सर्दी जुकाम के साथ अगर हल्का बुखार भी है तो यह लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है. दरअसल इन्फ्लुएंजा एक वायरस है. जो कि इंसान के श्वसन तंत्र (Respiratory System) पर हमला करता है और इसके संक्रमण से खांसी, जुकाम और हल्के बुखार से होती है.
इन्फ्लुएंजा में सेकेंडरी इंफेक्शन है जानलेवा
इन्फ्लुएंजा संक्रमण में यदि मरीज को कोई सेकेंडरी इंफेक्शन, खासकर निमोनिया, हो जाता है तो यह मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. निमोनिया बैक्टीरिया से होने वाला इंफेक्शन है. अब एक रिसर्च में पता चला है कि इन्फ्लुएंजा वायरस इंसानी शरीर में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है. मतलब इन्फ्लुएंजा संक्रमण से जूझ रहे मरीज में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा है और यह कॉम्बिनेशन इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
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स्वीडन के कारोलिंसका इंस्टीट्यूट ने यह रिसर्च की है. PNAS जर्नल में यह रिसर्च छपी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस रिसर्च में भी इससे मदद मिलेगी. चूंकि कोरोना वायरस भी इंसान के श्वसन तंत्र पर हमला करता है. कारोलिंसका इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने अपनी बात समझाने के लिए स्पैनिश फ्लू का उदाहरण दिया है.
वैज्ञानिकों ने बताया कि स्पैनिश फ्लू एक इन्फ्लुएंजा महामारी थी, जिसने साल 1918-20 के दौरान पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया था. इस महामारी का शिकार अधिकतर युवा और स्वस्थ लोग बने थे. इस महामारी के फैलने की सबसे बड़ी वजह इसका सेकेंडरी इंफेक्शन था, जो कि मरीजों को होने वाला फेफड़ों का संक्रमण था, जो कि न्यूमोकोकाई (Pneumococci)बैक्टीरिया से हुआ था.
इस बैक्टीरिया के चलते ही स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान लोगों को न्यूमोनिया की बीमारी काफी हुई, जो कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बनी.
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क्यों बढ़ जाता है जान जाने का खतरा?
रिसर्च में पता चला है कि इंफ्लुएंजा संक्रमण में विभिन्न न्यूट्रीएंट्स और एंटी ऑक्सीडेंट्स जैसे विटामिन सी आदि रक्त से लीक होते हैं. इसके चलते इंसान के फेफड़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. बैक्टीरिया एक एंजाइम HtrA का प्रोडक्शन करता है. यह एंजाइम इंसान के इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करता है और इंफ्लुएंजा संक्रमित मरीज में बैक्टीरियल इंफेक्शन को बढ़ाने में मदद करता है.
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