अब नक्सलवादियों के खौफ के आगे नहीं झुकेगी सरकार, नक्सलप्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों का बनाया यह प्लान
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अब नक्सलवादियों के खौफ के आगे नहीं झुकेगी सरकार, नक्सलप्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों का बनाया यह प्लान

अब इन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है. साथ ही मार्ग में पड़ने वाले नदियों में पुलों का निर्माण किया जा रहा है.

नक्सलप्रभावित क्षेत्रों का विकास कार्य हुआ शुरू

गौतम सरकार/ कांकेर: नक्सल प्रभावित इलाकों में काम कैसे हो कैसे इन इलाकों में रह रहे ग्रामीणों का विकास ही इस पर लगातार विचार किया जाता रहा है. इस बार कांकेर जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी और सुदूर ग्रामीण अंचलों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए सड़कों के साथ-साथ पुलो का निर्माण किया जा रहा है.
जिन क्षेत्रों में नक्सलवादियों के खौफ के कारण विकास कार्य अवरूद्ध हो रहे थे अब उन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है. साथ ही मार्ग में पड़ने वाले नदियों में पुलो का निर्माण किया जा रहा है. जिससे यातायात सुगम होगा और इसका फायदा क्षेत्र के लोगों को मिलेगा.

कहां-कहां होगा निर्माण कार्य
नक्सल प्रभावित विकासखण्ड कोयलीबेड़ा अंतर्गत कोयलीबेड़ा से प्रतापपुर मार्ग में ग्राम कामतेड़ा और कटगांव के पास मेड़की नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है. यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है जिसके कारण अर्द्ध सैनिक बलों की निगरानी में पुलों का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए कैंप भी स्थापित किये गये है. वर्तमान में कामतेड़ा और कटगांव पुल का निर्माण कार्य प्रगति पर है.

कितने ग्रामीणों को होगा लाभ
इन पुलों के बन जाने से कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के लगभग 20 से 25 गावों के अलावा नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत गोमे, आदनार और उसके आश्रित ग्रामों के अलावा आसपास के अन्य ग्राम पंचायतों को भी बारह मासी आवागमन की सुविधा उपलब्ध होगी.

सफ़र होगा अब छोटा
वहीं कांकेर डीएम चंदन कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि उक्त क्षेत्रों के ग्रामीणों के अलावा नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत गोमे, आदनार के ग्रामीण भी अपने रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कोयलीबेड़ा खरीदी करने आते है. इसके लिए उन्हे नदी पार करना होता है. उक्त पुल के बन जाने से उन्हे जान जोखिम में डालकर मेड़की नदी को पार करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. इस क्षेत्र के गांव बारिस के दिनों में एक-दूसरे से कट जाते हैं. दोनों पुलों के बन जाने से कोयलीबेड़ा और पखांजूर की दूरी भी लगभग 120 किलोमीटर से घटकर 45 किलोमीटर ही रह जायेगी.

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