Kishore Kumar Birthday: `चला जाता हूं किसी की धुन में...` किशोर दा कैसे बने योडलिंग किंग..!
Kishore Kumar Birth Anniversary: बॉलीवुड को 1500 से ज्यादा फिल्मों में सुपरहिट सॉन्ग्स देने वाले किशोर कुमार का आज 92वां जन्मदिन है. यहां जानिए खंडवा की गलियों से निकलकर किशोर दा कैसे बने योडलिंग के बादशाह.
नई दिल्लीः Kishore Kumar Birthday: 4 अगस्त 1929 को हिंदी सिनेमा जगत के योडलिंग किंग किशोर कुमार (Kishore Kumar) का जन्म हुआ. हिंदी सिनेमा जगत में योडलिंग और किशोर कुमार दोनों ही शब्द एक दूसरे के पर्याय माने जाते हैं. 'मैं हूं झुम झुम झुम झुम झुमरू..' की जबर्दस्त योडलिंग से लेकर मेरे जीवनसाथी फिल्म की `चला जाता हूं किसी की धुन में...` जैसी एक अलग ही अंदाज़ की मस्तीभरी यूडल हो. किशोर इस विधा के अद्भुत जादूगर थे. किशोर कुमार ने सैकड़ों गानों में अलग-अलग तरह की योडलिंग की है. आज किशोर कुमार के इसी योडलिंग सफर पर आपको लेकर चलते हैं.
पर्वतों के पार से आई है योडलिंग
योडलिंग की यात्रा शुरू होती है सुदूर स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया के बीच आल्प्स के पर्वतों से. वहां लोग एक जगह से दूसरी जगह कई किलोमीटर दूर तक, घाटियों के पार अपनी आवाज योडलिंग करके पहुंचाते थे. इसी विधा को बाद में उनके लोक संगीत में स्थान मिला. और वहां के गानों की चर्चित शैली बन गई.
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जोडलिंग से आया है योडलिंग
अंग्रेजी का योडलिंग ऑस्ट्रो-बवेरियन शब्द `जोडलिंग` से लिया गया है जिसका मीनिंग है-वाक्यांश. यह गाने की वह शैली जिसमें कोई गायक श्रृंखलाबद्ध तरीके से अपनी नीचे की पिच और ऊपर की पिच के बीच आता जाता है. आवाज़ में मॉड्यूलेशन पैदा करता है. अबूझ शब्दावली में निरंतर उतार-चढ़ाव के बीच हायर रेंज से लो फिर हायर रेंज के बीच क्रम लगातार जारी रखता है.
आत्मा की आवाज बन गई योडलिंग
हुआ कुछ यूं कि किशोर कुमार के बड़े भाई अनूप कुमार कुछ योडलिंग रेकॉर्ड ले आए. घर पर उन्हें सुनकर योडलिंग की प्रैक्टिस करने लगे. मजेदार बात यह है कि सभी भाइयों में अनूप को बकायदा संगीत की तालीम दिलवाई गई है. अनूप और किशोर कुमार में कौन बेहतर योडलिंग करता है - यह शर्त लग गई. बस, किशोर कुमार को धुन सवार हो गई. वे योडलिंग की प्रैक्टिस करने लगे. एक बार तो जब अनूप कुमार कहीं बाहर से अपने घर पहुंचे तो उन्हें योडलिंग की आवाज सुनकर यह गलतफहमी हो गई कि एलपी रिकॉर्ड बज रहा है.
किशोर कुमार योडलिंग पर जबर्दस्त मेहनत करके उसके उस्ताद बन गए थे. 1950 की `मुकद्दर` फिल्म से यूडलिंग का सिलसिला चला पड़ा। फिर `ये समां हम-तुम जवां, पहलू से दिल सरक जाए`(माशूक/1953), `तिकड़मबाजी...`(अधिकार/1953), `पिया पिया पिया मोरा जिया पुकारे...`(बाप रे बाप/1955), फिर आया मस्तीभरा `नखरेवाली, नखरेवाली...`(नई दिल्ली/1956), `पांच रुपैया बारा आना..`, `हाल कैसा है जनाब का...`(चलती का नाम गाड़ी/1958), `झुम झुम झुमरू...`(बाप रे बाप/1955),` ये दिल ना होता बेचारा...`(ज्वेलथीफ़/1955), `तुम बिन जाऊं कहां...`(प्यार का मौसम/1955), `ये शाम मस्तानी..`(कटी पतंग/1970), `चला जाता हूं किसी..`(मेरे जीवनसाथी/1972), `ज़िंदगी एक सफ़र है..`(अंदाज़/1971), `देखा न हाय रे...`(बॉम्बे टू गोवा/1972),`ऐसे ना मुझे तुम देखो...`(डार्लिंग-डार्लिंग/1977) जैसे गानों योडलिंग प्रेमियों में खासे चर्चित हुए.
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दो तरह की योडलिंग का प्रयोग किया
किशोर कुमार ने अपने शुरुआती दौर यानी 1955 से 1965 के बीच अल्पाइन योडलिंग का ही प्रयोग किया बाद में उन्होंने कुछ गानों में काउबॉय योडलिंग का इस्तेमाल किया था. दोनों शैलियों के बीच शब्दों के उतार-चढ़ाव में बारीक सा अंतर है. योडलिंग की काउबॉय शैली की सबसे फेमस सिंगर वान्डा जैक्सन थीं. जबकि अल्पाइन यूडलिंग को सबसे पॉपुलर बनाने में जिमी रोजर्स का हाथ माना जाता है. जो 20वीं शताब्दी के शुरुआती दशकों में `ब्ल्यू योडल` जैसा सुपरहिट एलबम निकाला था.
बाद में फ्रांज्ल लैंग ने अपने पॉपुलर एलबम `डेर कनिगस्जोडलर` से शुरू करके एक के बाद एक लगभग 40 एलबम निकाले. फिर कैरी क्रिस्टेन्सेन और स्लिम व्हिटमैन ने अल्पाइन योडलिंग को खासा फेमस बना दिया. किशोर कुमार की एक और खासियत थी कि वे अभिनेता चेहरे के हिसाब से अपनी आवाज में मॉड्यूलेशन पैदा कर लेते थे. कई बार तो वे जिद करते थे कि जिस अभिनेता पर गाना फिल्माया जाना है उसे रिकॉर्डिंग स्टूडियो में लाकर बैठाया जाए. सुपरस्टार राजेश खन्ना का तो मानना था कि दो-चार गानों में जब वे स्टूडियो में बैठे तो उन गानों का अलग ही अंदाज रहा. अपनी अद्भुत सफलता के पीछे किशोर के गानों का बहुत हाथ मानते थे.
दुनिया के टॉप योडलर्स
जिमी रोजर्स, डेज्यूरिक सिस्टर्स, कैरी क्रिस्टेन्सेन, फ्रांज्ल लैंग, हैंक विलियम्स, स्लिम व्हिटमैन,बॉव डायलन, वान्डा जैक्सन.
मो रफी ने भी कुछ गानों में की है योडलिंग
हिन्दी सिनेमा के सबसे ज़्यादा गाने वाले और मकबूल सिंगर में से एक मोहम्मद रफी ने भी `ओ चले हो कहां कहो, गुस्सा फजूल है` फिरोज खान की फिल्म रिपोर्टर राजू के अलावा डॉक्टर जेड फिल्म में आशा भोसले के साथ एक गाने `स्वीटी सेवेन्टीन...` में योडलिंग की थी. बाद में गीता दत्त के साथ फिल्म आगरा रोड में `रिप्पी-टिप्पी हो गयी...` जैसे बड़े अज़ीब बोल वाले गाने में योडलिंग का समां बांधा था.
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कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया
सही मायने में किशोर कुमार बॉलीवुड के सबसे हरफ़नमौला कलाकार थे. उन्होंने लगभग 80 फिल्मों में अभिनय किया. उनकी कॉमेडी फिल्में विशेष तौर पर सराही गईं. अशोक कुमार के साथ ‘भाई-भाई’ (1956). दोनों भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के संग ‘चलती का नाम गाड़ी’(1958). दिलीप कुमार को टक्कर देती हुई ‘मुसाफिर’ (1957)(* हालांकि ऋषिकेस मुखर्जी की इस एक्सपेरिमेंटल फिल्म में दोनों का कोई सीन साथ में नहीं था।) मेहमूद, सुनील दत्त के साथ कॉमेडी का तड़का लगाने वाली ‘पड़ोसन’ (1968), मधुबाला के साथ `हाफ टिकट` और `चलती का नाम गाड़ी` जैसी फिल्मों के अलावा ‘आशा’ (1957), ‘मिस मेरी’ (1957), अपने ‘शरारत’ (1959), जैसी बेहद कामयाब फिल्मों में काम किया. गायक, अभिनेता, निर्देशक, संगीत निर्देशक, गीतकार, स्क्रिप्ट राइटर जैसी कई क्षेत्रों में किशोर कुमार ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया था.
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