जबलपुरः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण मामले में दायर की गई सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फिलहाल 14 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से इनकार कर कर दिया है. 


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14% आरक्षण के हिसाब से ही होगी भर्तियां
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि फिलहाल प्रदेश में 14 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से ही भर्तियां की जाएं. स्वास्थ्य विभाग में जो भर्तियां रूकी हुई हैं उन भर्तियों की सभी प्रक्रियाएं भी 14 प्रतिशत के हिसाब से की जाए. फिलहाल हाईकोर्ट ने 13 प्रतिशत रिजर्वेशन को ही रिजर्व रखने का निर्देश दिया है. 10 जुलाई को कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई होगी. 


गौरतलब है कि बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर तमाम याचिकाओं पर आज सुनवाई की गई. जिसमें हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय शुक्ला की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया है. अब इस मामले में 10 जुलाई को सभी पक्षों तो जिसमें सभी पक्षों को लिखित बहस पेश करनी है. उसके बाद हो सकता है कि कोर्ट अपना अंतिम फैसला सुना दे. 


50 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा आरक्षण 
अगर मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण दिया जाता है तो राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 50 से ज्यादा हो जाएगा. साल 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में फैसला सुनाते हुए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय कर दी थी. लेकिन मंगलवार को हाई कोर्ट में इंदिरा साहनी केस को आधार बनाकर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है कि विशेष परिस्थितियों में आरक्षण का प्रतिशत 50 से ज्यादा किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है.


क्या हैं मामला
मार्च 2019 से पहले राज्य स्तरीय परीक्षाओं में सभी वर्गों के आरक्षण मिलाकर कुल 50 प्रतिशत सीटें, आरक्षित और इतनी ही सीटें अनारक्षित थीं. दिसंबर 2018 में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सत्ता में आई. जिन्होंने अपने घोषणा पत्र में OBC आरक्षण को 27 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही थी. जिसे सत्ता में आने के बाद 2019 में उनकी सरकार ने इसे लागू भी कर दिया था.


कमलनाथ सरकार ने बनाया था कानून
कमलनाथ सरकार ने आते ही सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी से आरक्षण की सीमा 63 फीसदी तक बढ़ा दी थी जो सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन है. बता दें कि पिछड़ा वर्ग (OBC) को 14 फीसद से 27 फीसद आरक्षण का कानून बना दिया था. जिसके बाद कई संगठनों व बीजेपी ने हाईकोर्ट में इसकी चुनौती दी थी.


दरअसल, आरक्षण के मुद्दे पर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई से प्रदेश के सरकार विभागों में होने वाली भर्तियों पर फिलहाल रोक लगी हुई है. हालांकि अब कोर्ट ने फिलहाल स्पष्ट कर दिया है कि भर्तियां अभी 14 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से ही की जाए. 


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