समिति बनने के बाद से लगभग 1 माह से लगातार युवा सुबह-शाम का भोजन हितग्राहियों के घर पहुंचा रहे हैं.
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दुर्गेश बिसेन/पेंड्रा: कोरोना के संक्रमण काल में जहां संक्रमितों से परिवार के सदस्य भी दूरी बना रहे हैं. ऐसे में पेंड्रा में युवाओं का एक समूह कोरोना संक्रमितों को दोनों समय का भोजन उपलब्ध करा रहा है. लॉकडाउन के समय गरमा-गरम भोजन पाकर हितग्राही भी खुश है और युवाओं को धन्यवाद दे रहे.
दूसरों के दर्द को समझा
खांसने, छीकने और छूने से फैलने वाले कोरोना महामारी फैलने के बाद से लगे लॉकडाउन में लोगों की स्थिति खराब हो रही है. ऐसे में उन परिवारों में ज्यादा परेशानी होती है जहां गृहिणी ही संक्रमित हो जाती हैं. क्योंकि लोगों को भोजन बनाने पकाने में काफी परेशानी होती है. पेंड्रा में भी कई परिवार इसी तरह संक्रमण के शिकार हुए और उन्हें भी इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा है. लेकिन यहां एक अलग तस्वीर देखने को मिली है. वे लोग जब संक्रमण से उभरे तो अपने साथ हुई परेशानी को समझा. इन युवाओं ने ये भी समझा कि जैसी परेशानियों का सामना इन लोगों करना पड़ा ऐसा कोई और ना झेले.
समूह बनाया गया
इसके लिए तुरंत ही एक समूह बना लिया गया. समिति के सदस्यों ने आपस में अंशदान कर दाल चावल सब्जी रोटी बनाकर पहुंचाने का निर्णय लिया. इसके लिए भोजन पकाने वाले मजदूरों की व्यवस्था के साथ-साथ राशन की व्यवस्था की गई.
युवा श्रमदान करते है
समिति के सदस्य नितिन छाबरिया बताते हैं कि सुबह 7:00 बजे से मजदूर भोजन बनाना चालू कर देते हैं. भोजन बनने के बाद युवा श्रम दान कर भोजन की पैकेजिंग करते है. समिति के सदस्य अलग-अलग दल बनाकर संक्रमितों के परिवारों तक भोजन पहुंचाने निकल जाते है.
बिना सरकारी सहयोग के चल रही समिति
फिलहाल समिति के सदस्य पेंड्रा के आसपास के लगभग 2 दर्जन गांव के 250 से 300 लोगों को प्रतिदिन दोनों टाइम भोजन पहुंचा कर दे रहे है. वो भी बिना सरकारी सहयोग के.
भोजन पकाकर घर तक पहुंचाने का निर्णय
लॉकडाउन लगने के बाद से भोजनालय और होटल लगभग बंद से हैं. हालांकि होम डिलीवरी की व्यवस्था शासन ने जारी रखने की छूट दी है. बावजूद संक्रमण की वजह से लोग भोजनालय से दूरी बनाकर रखे हुए हैं. ऐसे में बीमारी की चपेट में आए परिवार के सदस्यों को भोजन बनाने में काफी परेशानी होती है. संक्रमित घरों में ना तो मजदूर काम करने जाते हैं. साथ ही पड़ोसी रिश्तेदार भी दूरी बना लेते हैं. उन्हीं परिवारों को दोनों टाइम घर जैसा गरमा- गरम भोजन पकाकर घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया.
हितग्राही हुए खुश
समिति बनने के बाद से लगभग 1 माह से लगातार युवा इसी तरह सुबह शाम का भोजन हितग्राहियों के घर पहुंचा रहे हैं. सुबह 11:00 से 12:00 के बीच प्रभावित परिवारों के घर प्रति सदस्य के हिसाब से भोजन के पैकेट युवा पहुंचा देते हैं. वैसा ही शाम को 7:00 से 8:00 के बीच भोजन पहुंच जाता है. हितग्राही करुणा ने बताया कि घर में घर जैसा भोजन मिलने से पीड़ित भी काफी संतुष्ट और खुश हैं और वो इन लोगों का धन्यवाद दे रहे है कि इस संकट की घड़ी में आगे आए.
कोरोना संक्रमण काल में इस तरह की कई तस्वीरें सामने आ चुकी है. वे तस्वीरें भी सामने आई जहां कोरोना संक्रमित मरीज की मृत्यु हो जाने के बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार से भी मना कर दिया. तो ऐसी सुखद तस्वीरें भी सामने आई जहां इस तरह से लोग आगे आकर संक्रमितो की मदद कर रहे हैं. ऐसे युवाओं के हौंसलें को हम सलाम करते हैं.
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