Wheat Stubble Burning News: पराली की आग अब खेतों तक सीमित नहीं रही है, ये धुआं अब देश के पर्यावरण और हवा की सेहत पर भारी पड़ रहा है. गेहूं की कटाई के बाद खेतों में नरवाई (पराली) जलाने के मामलों में मध्य प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे निकल गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की रिपोर्ट से पता चला है कि पंजाब दूसरे, उत्तर प्रदेश तीसरे और हरियाणा चौथे नंबर पर है. पराली जलाने की घटनाएं, अब वायु गुणवत्ता के लिए गहरी चिंता का विषय बनती जा रही हैं.
आपको बता दें कि 1 से 21 अप्रैल 2025 के बीच प्रदेश में 20,422 से अधिक बार खेतों में पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. इन घटनाओं की निगरानी सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के जरिए की जाती है, जिससे वास्तविक समय में आग की गतिविधियों का पता चल रहा है.
विदिशा जिला इस बार सबसे आगे है, जहां 3,181 घटनाएं दर्ज की गई हैं. यह पहली बार है जब विदिशा पराली जलाने में टॉप पर आया है. पिछले वर्षों में यह कभी दूसरे या तीसरे स्थान पर रहा था, लेकिन इस साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
वहीं इंदौर में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है. यहां 1 से 21 अप्रैल के बीच 1,281 बार पराली जलाई गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में केवल 387 घटनाएं दर्ज की गई थीं. इस हिसाब से यह संख्या लगभग चार गुना बढ़ गई है. इंदौर इस साल पांचवें स्थान पर है, लेकिन इसके कुछ क्षेत्र खासतौर पर प्रभावित हैं.
उज्जैन जिला भी, पराली जलाने के मामलों में तीसरे नंबर पर आ गया है. 21 अप्रैल तक यहां 1,606 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. यहां रोजाना के आंकड़ों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो जिले की पर्यावरणीय स्थिति को और खराब कर रही है.
इंदौर जिले में देपालपुर और महू इलाके इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. यहां दिन और रात, दोनों समय पर खेतों में आग लगाई जा रही है. इसका सीधा असर शहर और आस-पास के इलाकों की वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है, जिससे लगातार एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 100 से ऊपर बना हुआ है.
जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है. इंदौर के कलेक्टर ने नरवाई जलाने वालों के खिलाफ सख्त निर्देश जारी किए हैं. अब तक 13 किसानों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है.
प्रशासन द्वारा तय किए गए जुर्माने की दर के अनुसार, दो एकड़ तक की जमीन वाले किसानों पर 2,500 रुपये, दो से पांच एकड़ वालों पर 5,000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले किसानों पर 15,000 रुपये का आर्थिक दंड लगाया जा रहा है.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से पता चला है कि किसान खेत खाली करने की जल्दबाजी में नरवाई जला देते हैं ताकि अगली फसल की बुवाई की जा सके. लेकिन इस प्रक्रिया से न सिर्फ मिट्टी की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, बल्कि वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहा है.
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