MP के इस शहर में फिर कराया जाएगा सीरो सर्वे, बच्चों के भी लिए जाएंगे सैंपल
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MP के इस शहर में फिर कराया जाएगा सीरो सर्वे, बच्चों के भी लिए जाएंगे सैंपल

संभागायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीम को निर्देश दिए हैं कि दिल्ली की एजेंसी के साथ मिलकर प्रत्येक चयनित वार्ड से 125 ब्लड सैंपल लिए जाए. 

सीरो सर्वे

इंदौरः मध्य प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है. जबकि कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आ चुका है. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कोविड का असर इंदौर में देखने को मिला था. ऐसे में कोरोना का घटता संक्रमण और संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर इंदौर में एक बार फिर से सीरो सर्वे कराने का काम शुरू किया जाएगा. 

18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी किया जाएगा शामिल 
दरअसल, इस बार इंदौर शहर में होने वाले सीरो सर्वे में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा. सीरो सर्वे के लिए इंदौर नगर निगम सीमा में 25 वार्डों को चयनित किया गया है, इन सभी वार्डों में रेंडम सर्वे किया जाएगा. सर्वे की तैयारियों को लेकर इंदौर संभागायुक्त पवन कुमार शर्मा ने शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में निर्देश दिए गए है इस बार सैंपल अलग-अलग एज ग्रुप के बच्चों का लिया जाएगा. ताकि पता लगाया जा सके कि बच्चों में एंटीबॉडी डेवलप हुई है या नहीं. 

हर वार्ड से लिए जाएंगे 125 ब्लड सैंपल 
संभागायुक्त ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीम को निर्देश दिए हैं कि दिल्ली की एजेंसी के साथ मिलकर प्रत्येक चयनित वार्ड से 125 ब्लड सैंपल लिए जाएगे. इस तरह से कुल 3 हजार से ज्यादा ब्लड सैंपल लेकर बच्चों में एंटीबॉडी की जांच की जाएगी. इस सर्वे के दौरान सभी वर्ग के लोगों को ब्लड सैंपल लिया गया था, इन सैंपलों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के सैंपल भी शामिल होंगे. 

सर्वे के लिए बनाया गया मोबाइल एप
इंदौर में होने वाले इस सर्वे के लिए नगर निगम एक मोबाइल एप भी बना रहा है. इसी के जरिए डाटा कलेक्शन से लेकर सर्वे का काम किया जाएगा. खास बात यह है कि 40 टीमें बनाकर शहर में सीरो सर्वे का काम किया जाएगा. ताकि संभावित तीसरी लहर को लेकर ठोस कदम उठाए जा सके. 

क्या होता है सीरो सर्वे 
दरअसल, सीरो सर्वे को सीरोलॉजिकल सर्वे भी कहा जाता है. सीरो सर्वे में व्यक्ति का ब्लड लेकर उससे सेल्स और सीरम को अलग किया जाता है, सीरम में कोरोना वायरस के खिलाफ जितनी एंटीबॉडी बनी हैं, उनकी जांच की जाती है. जिस क्षेत्र में यह सर्वे कराया जाता है वहां यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि उस क्षेत्र में कोविड का संक्रमण कितना फैला है. क्योंकि कोरोना के मामलों में ऐसा देखने को मिला है कि कई लोगों कोविड हो जाता है लेकिन उनमें कोविड के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. यानि अगर शख्स कोरोना से संक्रमित तो हुआ, लेकिन वह बीमार नहीं पड़ा. यानि जितने लोगों में कोविड से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनी होगी उस क्षेत्र में संक्रमण का खतरा उतना ही कम होगा. इस सर्वे से कोरोनी की चेन तोड़ने में मदद मिलती है, इसीलिए कोरोना से बचाव में सीरो सर्वे की अहम भूमिका मानी जाती है. 

बता दें कि इससे पहले भी इंदौर में सीरो सर्वे कराया जा चुका है. तब शहर के 85 वार्डों में हुए सर्वे में 7.75 प्रतिशत लोगों में कोविड की इम्युनिटी मिली थी. ऐसे में इस बार भी इंदौर में सीरो सर्वे का काम शुरू किया जा रहा है. 

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