ये हैं असली हीरो: श्मशान घाट पर लगी है ड्यूटी, इस पुलिसकर्मी ने फर्ज की खातिर अपनी बेटी की शादी टाली!
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ये हैं असली हीरो: श्मशान घाट पर लगी है ड्यूटी, इस पुलिसकर्मी ने फर्ज की खातिर अपनी बेटी की शादी टाली!

राकेश कुमार के अनुसार, वह बीते एक माह में करीब 1100 शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं.

(इमेज सोर्स- एएनआई)

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के इस दौर में कई ऐसे लोग हैं जो जरूरतमंदों और समाज की मदद के लिए अपनी जान भी जोखिम में डाल रहे हैं. ये ही हमारे असली हीरो हैं. ऐसे ही एक हीरो हैं, राकेश कुमार, जो कि दिल्ली पुलिस में एएसआई के पद पर तैनात हैं. बता दें कि राकेश कुमार की ड्यूटी बीते एक माह से दिल्ली के लोधी श्मशान घाट पर लगी हुई है. वह अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं. कोरोना महामारी के चलते काम का दबाव इतना ही कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी भी टाल दी है.

श्मशान घाट पर करते हैं ये काम
द इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, राकेश कुमार यूपी के बागपत के रहने वाले हैं. फिलहाल उनकी पोस्टिंग हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन पर है. लेकिन कोरोना महामारी के चलते बीते एक माह से वह लोधी श्मशान घाट पर ड्यूटी दे रहे हैं. राकेश कुमार का कहना है कि वह अंतिम संस्कार में पंडित की मदद करते हैं. साथ ही अंतिम संस्कार के लिए पूजा का सामान खरीदने और डेड बॉडी लाने वाले  एंबुलेंस ड्राइवरों के साथ कोर्डिनेट करने की भी जिम्मेदारी उनकी है. राकेश कुमार सुबह 7 बजे श्मशान घाट पहुंच जाते हैं और रात में 7-8 बजे ही अपने क्वार्टर लौटते हैं. 

1100 शवों का करवा चुके अंतिम संस्कार
राकेश कुमार के अनुसार, वह बीते एक माह में करीब 1100 शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं. इनमें से अधिकतर शव कोरोना संक्रमित लोगों के थे. एएसआई राकेश कुमार ने बताया कि 'कोरोना के चलते परिजन श्मशान घाट नहीं आ पाते हैं, ऐसे में शव के साथ जो व्यक्ति आता है, हम अंतिम संस्कार में उसकी मदद करते हैं.'

फर्ज की खातिर टाली बेटी की शादी
राकेश कुमार का परिवार बागपत में ही रहता है. आगामी 7 मई को राकेश कुमार की बेटी की शादी थी लेकिन अपने फर्ज और जिम्मेदारियों के बढ़ते बोझ के चलते उन्होंने अपनी बेटी की शादी फिलहाल टालने का फैसला किया है. राकेश कुमार इसकी वजह बताते हुए कहते हैं कि 'इस महामारी के दौर में कई लोग ऐसे आते हैं, जिन्हें हमारी जरूरत होती है, ऐसे वक्त में मैं छुट्टी लेकर अपनी बेटी की शादी की खुशियों में कैसे शामिल हो सकता हूं.'

राकेश कुमार बताते हैं कि कोरोना के इस दौर में कई बूढे लोग आते हैं, जो अपनों को खो चुके हैं. उन्हें पता नहीं होता कि क्या करना है? ऐसे में हम उनकी मदद करते हैं. कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है. राकेश बताते हैं कि वह ड्यूटी के दौरान पूरी सावधानी बरतते हैं. साथ ही वह कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज भी लगवा चुके हैं.

 

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