सतीश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी नहीं चाहती थी कि वह क्वार्टरफाइनल का मुकाबला खेलें. इसकी वजह सतीश का चोटिल होना था.
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नई दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक में एक और पदक जीतने की भारत की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है. दरअसल भारतीय मुक्केबाज सतीश कुमार क्वार्टरफाइनल में हार गए. क्वार्टरफाइनल में उज्बेकिस्तान के बॉक्सर बखोदिर जालोलोव ने उन्हें 5-0 के अंतर से हरा दिया. हालांकि अपनी हार के बावजूद सतीश कुमार ने अपने जज्बे से सभी का दिल जीत लिया है. दरअसल चेहरे पर कई कट लगने के बाद भी सतीश लड़ते रहे और सतीश के हार ना मानने के इस जज्बे की तारीफ उनके प्रतिद्वंदी बखोदिर जालोलोव ने भी की है. बखोदिर ने मैच के बाद ट्वीट करते हुए सतीश कुमार को सच्चा योद्धा बताया.
इंडियन आर्मी में सूबेदार हैं सतीश
सतीश इंडियन आर्मी में सूबेदार के पद पर तैनात हैं. एक सैनिक के जज्बे के कारण ही सतीश मैच के दौरान बुरी तरह घायल होने के बावजूद डटे रहे. प्री क्वार्टरफाइनल मैच में सतीश के माथे और ठोड़ी पर कट लगे थे, जिनमें कई टांके लगे हुए थे. इसके बावजूद सतीश कुमार क्वार्टरफाइनल में उतरे और दिखा दिया कि वह भी उस भारतीय सेना का ही हिस्सा हैं, जो कभी हार नहीं मानने का जज्बा रखती है.
'पत्नी नहीं चाहती थी सतीश मुकाबला खेलें'
पीटीआई के साथ बातचीत में सतीश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी नहीं चाहती थी कि वह क्वार्टरफाइनल का मुकाबला खेलें. इसकी वजह सतीश का चोटिल होना था. सतीश ने बताया कि उनके पिता भी इसके पक्ष में नहीं थे. सतीश ने बताया कि 'इसके बावजूद वह चाहते थे कि वह मुकाबले में उतरें और अपना बेस्ट दें. सतीश के अनुसार, वह जिंदगी भर इस मलाल के साथ नहीं जीना चाहते थे कि वह मुकाबले में उतरे ही नहीं'.
सतीश ने बताया कि 'उनके बच्चों ने भी टीवी पर उनका मैच देखा और उम्मीद है कि उन्हें गर्व महसूस हुआ होगा'. बता दें कि क्वार्टरफाइनल में सतीश को हराने वाले उज्बेकिस्तान के बॉक्सर बखोदिर जालोलोव ने भी सतीश की तारीफ की और उनकी तस्वीर को ट्वीट करते हुए उन्हें सच्चा योद्धा बताया. मैच के बाद भी बखोदिर ने सतीश को गर्मजोशी से गले लगाया था.
You’re a true warrior #SatishKumar
get well soon brother #UZB #IND pic.twitter.com/I7CZ9f40JU— Bakhodir Jalolov (@BakhodirJalolov) August 1, 2021
सतीश कुमार की उपलब्धियों की बात करें तो वह एशियन गेम्स में दो बार कांस्य पदक जीत चुके हैं. साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक और कई बार नेशनल चैंपियनशिप के विजेता हैं. वह देश के पहले हैवीवेट मुक्केबाज हैं, जिन्होंने ओलंपिक के लिए ना सिर्फ क्वालिफाई किया बल्कि क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया.