जज्बे को सलामः छह रिटायर्ड जवान नक्सली क्षेत्र के 600 युवाओं को पेंशन के पैसे से दे रहे आर्मी ट्रेनिंग
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जज्बे को सलामः छह रिटायर्ड जवान नक्सली क्षेत्र के 600 युवाओं को पेंशन के पैसे से दे रहे आर्मी ट्रेनिंग

आर्मी की ट्रेनिंग शुरू करने से पहले युवा लड़के-लड़कियों में देश सेवा की भावना का विकास किया जा रहा है. उन्हें सीख दी जा रही है कि बॉर्डर पर जात-पात और समाज की सोच से पहले देश की सेवा आती है.

कोंडागांव की आर्मी ट्रेनिंग में शामिल विद्यार्थी

चम्पेश जोशी/कोंडागांवः छत्तीसगढ़ का कोंडागांव जिला सालों से नक्सली प्रभाव वाला इलाका रहा है. जहां सेना के कईं केम्प आयोजित किए जाते हैं, लेकिन ट्रेनिंग के लिए नहीं बल्कि नक्सलियों से जनता की सुरक्षा के लिए. यहां के युवाओं ने आर्मी के सैनिकों को तो देखा था, लेकिन आर्मी में कैसे भर्ती होना ये उन्हें उतना बारीकी से नहीं सीखने को मिल पाता. ऐसे में कोंडागांव के ही भारतीय सेना से रिटार्यड 6 सैनिकों ने अभिनव पहल की शुरुआत की है.

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600 युवाओं को मिल रहा प्रशिक्षण
भूतपूर्व सैनिकों ने देखा कि यहां युवाओं को आर्मी में भर्ती तो होना है लेकिन उन्हें सही प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है. अपने अंदर देश सेवा का जज्बा लिए इन सैनिकों ने युवाओं को प्रशिक्षण देने की ठानी. आज वे कोंडागांव व अन्य जिलों के लगभग 600 युवक-युवतियों को निःशुल्क आर्मी की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

देश सबसे पहले
आर्मी में भर्ती होने के पहले युवाओं के अंदर देश सेवा की भावना का विकास किया जा रहा है. सभी को तकनीकी शिक्षा भी दी जा रही है. भूतपूर्व सैनिक सुब्रत शाह का कहना है कि युवाओं को आर्मी में जाने के लायक बनाने के लिए ही उनमें पहले देश सेवा के जज्बे का विकास हो रहा है. जो अब ज्यादातर युवाओं में नजर भी आने लगा है.  

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गांव-गांव जाकर किया प्रचार
सैनिकों ने पहल शुरू करने के बाद देखा कि बहुत कम युवाओं तक इस बात की जानकारी पहुंच रही है. उन्होंने गांव-गांव जाकर निःशुल्क ट्रेनिंग का प्रचार किया, अब दूर के गांवों से भी आर्मी का प्रशिक्षण लेने के लिए युवा उनके पास पहुंच रहे हैं.

नक्सली क्षेत्र वाले गांवों से आ रहे युवा
युवाओं का कहना है कि उन्हें सेना में भर्ती होना है. कईं बार भर्ती में शामिल होने के बाद भी कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है. अब इस ट्रेनिंग से उन्हें उम्मीद है कि वे भी खुद को सेना के लिए तैयार कर देश सेवा करेंगे. नक्सल प्रभावित गांव से भी भारी संख्या में युवा ट्रेनिंग के लिए पहुंच रहे हैं. उनका कहना है कि सेना के कैम्प्स देखकर उनमें भी सेना में भर्ती होने की उत्सुकता बनी रहती है.

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उम्मीद से ज्यादा युवा दे रहे साथ
ट्रेनिंग दे रहे जवानों का कहना है कि उन्होंने सोचा नहीं था कि सेना में भर्ती होने का जज्बा युवाओं में इस कदर देखने को मिलेगा. इतनी संख्या में युवा शामिल हो रहे हैं कि अब वे इन्हें ब्लॉक स्तर पर भी प्रशिक्षण देंगे. क्योंकि युवाओं को काफी दूर-दूर से प्रशिक्षण के लिए आना पड़ रहा है.

प्रशासन की मदद की जरूरत पड़ेगी
रिटार्यड सैनिकों ने प्रशिक्षण के इस कार्य में किसी की भी मदद नहीं ली. इन 6 सैनिकों ने मिलकर अपने पेंशन से थोड़ा-थोड़ा पैसा इकट्ठा कर इस पहल की शुरुआत की है. अब उन्हें लग रहा है कि इस काम में उन्हें शासन प्रशासन की मदद की जरूरत भी पड़ेगी. उन्हें उम्मीद है कि शासन के लोग उनकी मदद को जरूर आगे आएंगे.

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ये हैं आर्मी के 6 रिटायर्ड सैनिक
भूतपूर्व सैनिक परिषद में संरक्षक सुब्रत शाह, अध्यक्ष सुरज कुमार यादव, सचिव उमेश साहु, उपाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, कोषाध्यक्ष उपेन्द्र सेन, और सेामेश्वर. ये वो रिटायर्ड सैनिक है जो अपने पेंशन का पैसा लगाकर बस्तर के युवाओं को सेना भर्ती के लिए तैयार कर रहे हैं.

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