CG:सड़क चौड़ीकरण के लिए काटे जा रहे पेड़ों को बचाने की कवायद, गांववालों ने उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
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CG:सड़क चौड़ीकरण के लिए काटे जा रहे पेड़ों को बचाने की कवायद, गांववालों ने उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

नारायणपुर जिला मुख्यालय से अबुझमाड़ कुतुल मार्ग का सड़क चौड़ीकरण का कार्य और नेशनल हाइवे 130 D का निर्माण होना है.इसके लिए कई पेड़ों को काटा जाना है, इस बात की भनक लगते ही अबुझमाड़ के ग्रामीण देव बांस के जंगल को बचाने लामबंद हो गए और कस्तूरमेटा से कोडकानार देवबांस स्थल तक रैली निकाल जल 'जंगल जमीन बचाना है' के नारे लगाते हुए पहुंचे.

गुस्साए ग्रामीणों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

हेमंत संचेती/नारायणपुर: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिला मुख्यालय से अबुझमाड़ कुतुल मार्ग का सड़क चौड़ीकरण का कार्य और नेशनल हाइवे 130 D का निर्माण होना है. जिसको लेकर विभाग ने अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए कई पेड़ों को काटा जाना है, उन पेड़ों की मार्किंग भी कर दी गई है. इसी मार्किंग में कोडकानार स्थित देव बांस का जंगल भी चौड़ीकरण की जद में आ रहा है. 

इस बात की भनक लगते ही अबुझमाड़ के ग्रामीण देव बांस के जंगल को बचाने लामबंद हो गए और कस्तूरमेटा से कोडकानार देवबांस स्थल तक रैली निकाल जल 'जंगल जमीन बचाना है' के नारे लगाते हुए पहुंचे. जंहा पर सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में देव बांस के जंगल को बचाने की रणनीति बनाई गई. ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल जिला मुख्यालय आकर जिला प्रशासन को देव बांस का जंगल नहीं काटने के लिए ज्ञापन सौपेगा. इतना ही नहीं उन्होंने प्रशासन द्वारा जंगल को बचाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाने की स्थिति में उग्र आंदोलन करने की बात भी कही है.

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ग्रामीणों का कहना है कि देव बांस जंगल की तरफ चौड़ीकरण करने की बजाय दूसरी तरफ ज्यादा सड़क चौड़ी की जाए. इससे चौड़ीकरण से देव बांस के जंगल को बचाया जा सकेगा. 

भगवान के रूप में पूजा जाता है ये जंगल
दरअसल अबुझमाड़ के कोडकानार स्थित बांस जंगल को अबुझमाड़ के आदिवासी ग्रामीण हाड़ा देवता के रूप में मानते हैं. इस बांस को लाटा देवता एवं डोली देव के लिए उपयोग किया जाता है. इससे प्रतिवर्ष होने वाले जात्रा, मेला, ककसाड में जरूरत के हिसाब से इसी बांस जा उपयोग किया जाता है. नए बांस को ले जाने के समय मे पुराने बांस को इसी स्थान पर छोड़ा जाता है. वहीं देव बांस को गलती से भी कोई छू लेता है तो अभिशाप से बचने के लिए पूजा-पाठ की रस्म अदा करनी होती है.

यहां बांस को काटने से पहले की जाती है रस्म
वही अंचल की मान्यता के अनुसार बांस की जरूरत होने पर काटने के लिए बांस जंगल की पूजा अर्चना के लिए गांव के अधिकृत चार व्यक्तियों(गायता) की अनुमति ली जाती है. इससे देवता के उपयोग के लिए बांस की मांग करने वाले व्यक्ति को एक दिन निश्चित कर आमंत्रित किया जाता है. इससे उसी दिन पूजा सामग्री के साथ उपस्थित होना अनिवार्य होता है. बांस को काटने के समय सामूहिक आयोजन किया जाता है. इसमे अबुझमाड़ के नेडनार, कलमानार, हिकपाड, ताडोनार के ग्रामीण सहपरिवार उपस्थित होते हैं. ग्राम देवी की पूजा-अर्चना के बाद बांस को काटने के लिए हांडा देव से बिनती की जाती है, इसके बाद सामूहिक भोज का आयोजन होता है.

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