CM और सिंहदेव के बीच सब कुछ नहीं ठीक? अपनी ही सरकार के इस बड़े फैसले से असहमत स्वास्थ्य मंत्री
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अपनी ही सरकार के एक फैसले से असहमत है.
रायपुरः छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल बनाए जाने के प्रदेश सरकार के फैसले से असहमत हैं.
अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ
टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के गांवों में प्राइवेट अस्पताल बनाए जाने के फैसले के खिलाफ है. स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि ''हम यूनिवर्सल हेल्थ केयर की बात करते हैं, ऐसे में प्राइवेट अस्पताल के हाथ में पिछड़े इलाकों की स्वास्थ्य सुविधा देने से किसे लाभ होगा, मुझसे इसे लेकर चर्चा नहीं हुई, मैं इस व्यवस्था के पक्ष में नहीं हूं, उन्होंने कहा कि मैं नहीं कह सकता कि जनसंपर्क ने किसके कहने पर ये जानकारी दी, कैसे निकाली, कब निकाली, लेकिन इस बारे में मुझसे चर्चा नहीं हुई है. हमने तो जब भी विभागीय तौर पर बात की है तो इसी बात पर चर्चा हुई है कि पब्लिक सिस्टम को हमको मजबूत करना है. तो जब हमारे पास पैसे की कमी है उस स्थिति में प्राइवेट सेक्टर को पैसे देना यह मेरे समझ के बाहर है.''
खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य विभाग टीएस सिंहदेव के पास है, स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े इतने बड़े फैसले में उनका यह बयान प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. क्योंकि पहले भी टीएस सिंहदेव इस तरह के बयान देते रहे हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के सीएम पद को लेकर सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को लेकर पहले भी इस तरह की चर्चा उठ चुकी है कि दोनों नेताओं के सबकुछ ठीक नहीं है.
गांवों में बनेंगे प्राइवेट अस्पताल
दरअसल, पिछले दिनों भूपेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था. जिसके तहत छत्तीसगढ़ के गांवों में प्राइवेट अस्पताल बनाए जाने की योजना बनाई गई थी. 26 जून को सीएम बघेल ने बताया था कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं और मजबूती प्रदान करने लिए अब निजी क्षेत्र का भी सहयोग लेने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध हो सके, इसके लिए सभी शासकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के साथ ही स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं के निर्माण में निजी क्षेत्र का सहयोग भी लिया जाएगा. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल निर्माण के लिए निजी क्षेत्रों को राज्य सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाएगा. यह अनुदान राज्य सरकार द्वारा सेवा क्षेत्र के उद्योगों को दिए जा रहे अनुदान के तहत होगा. मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग को आगामी 10 दिनों में इसकी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए थे.
गौरतलब है कि बीते ढाई सालों में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए अनेक कार्य किए गए हैं, किन्तु अभी भी छोटे जिला मुख्यालयों एवं विकासखण्ड मुख्यालयों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता चुनौती बनी हुई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना महामारी के बदलते स्वरूप से निपटने एवं प्रदेशवासियों को उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु राजधानी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक स्वास्थ्य अधोसरंचना के विस्तार और उनके सुदृढ़ीकरण के निर्देश दिए हैं.
बाबा फैसले के खिलाफ
लेकिन सीएम भूपेश बघेल के इस फैसले को लेकर उनके ही मंत्री की असहमति से कई कयास लगने शुरू हो गए हैं. बड़ा सवाल यह भी कि अगर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को बिना बताए हुए सरकार ने इतना बड़ा फैसला लिया है तो इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है!
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