बैतूल: बैतूल के सीएमएचओ कार्यालय में एक-एक कर जान गंवा रहे बाबूओं की मौत से दहशत का माहौल है. यहां पांच महीने में दो लिपिक कार्यालय में ही आत्महत्या कर चुके है. जबकि अब भी कई कर्मचारी यहां प्रताडना का आरोप लगा रहे है. खास बात यह है कि इन पांच महीनों में भी दोनों आत्महत्याओं की न तो विभागीय तौर पर कोई जांच पूरी हो सकी,और न ही पुलिस ने इन मामलों में दर्ज मर्ग की जांच पूरी की है.


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दबाव का जिक्र किया था
पांच महीने पहले कार्यालय में जहर खाने वाले बलवन्तसिंह और बीते गुरुवार इसी परिसर में सल्फास खाकर जान देने वाले सुंदरलाल पंवार ने मरने से पहले अपने सुसाइट नोट में मौतों के लिए कार्यालय में काम के दबाव और फर्जी भर्ती कांड में फंसाने की साजिशों का आरोप लगाते हुए कुछ कर्मचारियों का उल्लेख भी किया था. लेकिन पुलिस न तो जांच पूरी कर सकी है और न ही कोई गिरफ्तारी कर सकी है. 


काम का दबाव मौत की वजह?
कर्मचारी यहां बेहद तनाव में है. उनका कहना है कि जहां जांचों के नाम पर पुलिस उन्हें परेशान कर रही है, वहीं कार्यलय में भी काम का दबाव कर्मचारियों की मौत की वजह बन रहा है. इधर पुलिस की दलील है कि मरने वाले कर्मियों के सुसाइट नोट को जांच के लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को भेजा गया है. उसी रिपोर्ट का इंतजार है. पुलिस द्वारा मर्ग कायम कर जांच की जा रही है और संबंधितों से पूछताछ भी कर रहे हैं। जिस लिपिक पर प्रताड़ना का आरोप लगाया गया है उसकी भी तलाश की जा रही है.


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निष्पक्ष जांच की मांग
मध्यप्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष राय के साथ अन्य सदस्यों ने सीएमएचओ को ज्ञापन सौंप कर आत्महत्या मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है ताकि कोई भी अधिकारी, कर्मचारी भविष्य में शासकीय कार्यप्रणाली से प्रताड़ित होकर इस तरह के कदम उठाने को बाध्य न हो. 


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