आपदा में मां-बाप के साथ अनहोनी हो जाए तो बच्चों का ध्यान कौन रखेगा? जानें सरकार के निर्देश
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आपदा में मां-बाप के साथ अनहोनी हो जाए तो बच्चों का ध्यान कौन रखेगा? जानें सरकार के निर्देश

मंत्रालय ने कहा कि कोविड केयर सेंटर में भरवाए जाने वाले फॉर्म में एक और कॉलम जोड़ा जाए, जिसमें बताया जाए कि माता-पिता की गैरमौजूदगी में बच्चों का ध्यान कौन रखेगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्लीः कोरोना महामारी ने कई परिवारों को बर्बाद किया, किसी का बेटा, मां, बहन, पिता तो किसी का पूरा परिवार ही समाप्त कर दिया. देश में अब भी हर दिन 4 लाख से ज्यादा मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं, मौतों का आंकड़ा भी भयावह है. ऐसे में सरकार का ध्यान उन बच्चों की ओर गया, जिनके माता-पिता इस महामारी का शिकार हो गए. महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय (Women and Child Development Department) ने इस संबंध में पहल की.

स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर पूछा सवाल
महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (Health and Family Welfare Department) को पत्र लिखा. उन्होंने पत्र लिखकर कोविड मरीजों से भरवाए जाने वाले फॉर्म में कुछ संसोधन करने का आग्रह कहा. कोविड केयर सेंटर में भरवाए जाने वाले फॉर्म में एक और कॉलम जोड़ा जाए, जिसमें बताया जाए कि माता-पिता की गैरमौजूदगी में बच्चों का ध्यान कौन रखेगा.

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'व्यक्ति का नाम, रिश्ता, पता, नंबर शामिल हो'
मंत्रालय ने कहा कि देश में हर दिन होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते कई बच्चे अनाथ हो रहे हैं. ऐसे में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं रह जाता, जरूरी है कि उन्हें दुर्दशा से बचाया जाए. राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवा विभाग के जरिए अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर को फॉर्म में कॉलम जोड़ने के बारे में निर्देशित करे. जिसमें माता-पिता की गैरमौजूदगी में बच्चों की जिम्मेदारी कौन संभालेगा, उसका नाम, पता, फोन नंबर और व्यक्ति से रिश्ता शामिल हो.

अनाथ बच्चों की जानकारी किसे देंगे?
पत्र में लिखा गया कि अगर बच्चे अनाथ हो जाते हैं तो अस्पताल विभाग ऐसे बच्चों की जानकारी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (Child Welfare Committee) को भेजे, जिससे काम अच्छे से हो सके. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि ये कदम बच्चों के हित को देखते हुए उठाया गया. कई माता-पिता इमरजेंसी में अस्पताल में भर्ती होते हैं, लेकिन उनके बच्चे घर ही रह जाते हैं. कई बार दुर्घटना होने पर वे घर में अकेले रह जाते हैं, ऐसे में उनका भविष्य संकट में आ जाएगा. कई लोग इस मौके का गलत फायदा उठाने के इंतजार में रहते ही हैं, जो इन बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल सकते हैं. 

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