हैदराबाद होगा भाग्यनगर? BJP क्यों उठा रही यह मुद्दा? जानिए क्या है भाग्यलक्ष्मी मंदिर का इतिहास
योगी आदित्यनाथ ने भाषण में कहा था, ``कुछ लोग मुझसे पूछ रहे थे क्या हैदराबाद का नाम फिर से भाग्यनगर हो सकता है? मैंने कहा क्यों नहीं. जब फैजाबाद का नाम अयोध्या हो सकता है, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो सकता है तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता.``
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बीते दिनों हैदराबाद में थे. वह यहां नगर निगम चुनाव में प्रचार के लिए आए थे. इस दौरान गृह मंत्री शहर स्थित भाग्यलक्ष्मी मंदिर भी पहुंचे और पूजा-अर्चना की. उनसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हैदराबाद पहुंचे थे. उन्होंने यहां जनसभा को संबोधित करते हुए यह दावा कर दिया कि भाजपा हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करेगी. भाजपा कहती आई है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर ही था.
योगी आदित्यनाथ ने भाषण में कहा, ''कुछ लोग मुझसे पूछ रहे थे क्या हैदराबाद का नाम फिर से भाग्यनगर हो सकता है? मैंने कहा क्यों नहीं. जब फैजाबाद का नाम अयोध्या हो सकता है, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो सकता है तो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता.'' बीते कुछ दिनों में हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर पहुंचने वाले भाजपा नेताओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सबसे लेटेस्ट हैं. भाजपा के कुछ नेता यह दावा करते हैं कि भाग्यनगर के नाम से ही इस मंदिर का नाम पड़ा था. आइए हम आपको इस मंदिर और हैदराबाद के नाम को लेकर कुछ जानकारियां देते हैं...
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पहले भाग्यलक्ष्मी मंदिर के बारे में जानिए
भाग्यलक्ष्मी मंदिर हैदराबाद के मशहूर चार मीनार के दक्षिणपूर्व मीनार से सटा हुआ है, जिसमें मां लक्ष्मी विराजमान हैं. बांस के खंभे और तिरपाल से मंदिर का स्ट्रक्चर बना है, टीन की छत है और चार मीनार का दक्षिणपूर्व मीनार इस मंदिर के पीछे की दीवार के रूप में है. इसके बारे में कोई विश्वसनीय जानकारी नहीं मिलती है कि यह मंदिर कब बना और किसने बनवाया. लेकिन यहां 1960 से ही यह स्थित है.
सिकंदराबाद के भाजपा सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी दावा करते हैं कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर का इतिहास चार मीनार से भी पुराना है जिसका निर्माण 1591 में शुरू हुआ था. चार मीनार एरिया में रहने वाले हिंदू बड़ी संख्या में इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं. दिवाली के मौके पर भाग्यलक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती हैं.
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अभी यह मंदिर चर्चा में क्यों बना हुआ है?
हाल के दिनों में भाजपा नेताओं का इस मंदिर में आने का सिलसिला चालू रहा है. ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव में यह मुद्दा छाया रहा कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर का नाम भाग्यनगर से ही पड़ा था. बीते 18 नवंबर को स्टेट इलेक्शन कमीशन के निर्देश पर तेलंगाना सरकार ने फूड रिलीफ डिस्ट्रिब्यूशन का काम बंद कर दिया, क्योंकि शहर में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो गया था. टीआरएस ने तेलंगाना भाजपा के अध्यक्ष बंदी संजय कुमार पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने ही फूड डिस्ट्रिब्यूशन के खिलाफ एसईसी को पत्र लिखकर शिकायत की थी.
बंदी संजय कुमार ने टीआरएस के इस आरोप को खारिज करते हुए उसके नेताओं को चुनौती दी कि वे भाग्यलक्ष्मी मंदिर में आकर सच की शपथ लें. संजय 20 नवंबर को खुद भाग्यलक्ष्मी मंदिर पहुंचे और कसम खाई कि उन्होंने एसईसी के पास फूड डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर कोई शिकायत नहीं की है. उसके बाद से कई भाजपा नेता इस मंदिर में माता लक्ष्मी के दर्शन कर चुके हैं.
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भाग्यलक्ष्मी क्यों पड़ा है इस मंदिर का नाम?
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. वहीं हिंदूवादी संगठन भाग्यलक्ष्मी को भाग्यनगर से जोड़ते हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि हैदराबाद पहले भाग्यनगर ही हुआ करता था. लेकिन गोलकोंडा के क़ुतुब शाही वंश के पांचवें सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने भाग्यनगर का नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया. पूर्व में भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर हिंसात्मक घटनाएं भी हो चुकी हैं.
नवंबर 1979
नवंबर 1979 में मक्का की बड़ी मस्जिद को हथियारबंद गिरोह ने अपने कब्जे में ले लिया था. तब एमआईएम ने हैदराबाद बंद करने का ऐलान किया था. दिवाली नजदीक थी, हिंदू दुकानदारों ने एमआईएम से अपील की कि उन्हें दुकानें खोलने दी जाए. इस बात को लेकर हिंसा भड़की. भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर हमला किया गया, उसे अपवित्र किया गया.
सितंबर 1983
सितंबर 1983 में गणेश उत्सव के मौके पर भाग्यलक्ष्मी मंदिर के बाहर बैनर टांगे गए कि इसका विस्तारीकरण होगा. इसके बाद मंदिर और ऑल्विन मस्जिद दोनों पर हमले हुए.
नवंबर 2012
नवंबर 2012 में बात उठी कि भाग्यलक्ष्मी मंदिर प्रशासन इसके विस्तारीकरण की योजना बना रहा है. बांस के खंभे हटाकर स्थाई निर्माण होगा. फिर हिंसा भड़की. तब आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिर में किसी भी प्रकार के स्थायी निर्माण पर रोक लगा दी थी.
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