वह कई माओवादी मुठभेड़ में शामिल रहा है. साथ ही छत्तीसगढ़ पुलिस ने जब माओवादियों कि अप्रैल में लिस्ट निकाली तो उसमें सबसे ज्यादा विश्ववा उर्फ संतोष सक्रिय था. जिसकी 3 नॉट 3 राइफल के साथ तस्वीर भी इंटेलिजेंस के हाथ लगी थी.
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रायपुरः 10 साल पहले महाराष्ट्र से लापता हुए दो युवक अब छत्तीसगढ़ में नक्सल मुहिम की कमान संभाले हुए हैं. ये दोनों ही युवक 10 साल पहले पुणे से गायब हुए थे. इसमें से एक कार्टूनिस्ट है, जबकि दूसरा कंप्यूटर ऑपरेटर. दोनों अब छत्तीसगढ़ में पेंटर और लैपटॉप के नाम से फेमस हैं. इनमें से लैपटॉप नाम का नक्सली नक्सल कमांडर है जबकि दूसरा उसका साथी. इन दोनों का नाम प्रशांत कांबले और संतोष वसंत बताया जा रहा है. बता दें संतोष और प्रशांत दोनों ही आपस में अच्छे दोस्त थे और पुणे के कसेवाड़ी स्लम में रहते थे, जहां से 10 साल पहले दोनों गायब हो गए थे.
महाराष्ट्र एटीएस को भी इसके माओवादी होने पर शक था, लेकिन जानकारी साफ नहीं हो पाई थी. छत्तीसगढ़ पुलिस के इंटिलिजेंस ने हाल ही में महाराष्ट्र एटीएस के इनपुट पर तफ्तीश की और उन्हें पता चला कि संतोष वसंत छत्तीसगढ़ में विश्वा नाम के नक्सल कमांडर के रूप में जाना जाता है. वह कई माओवादी मुठभेड़ में शामिल रहा है. साथ ही छत्तीसगढ़ पुलिस ने जब माओवादियों कि अप्रैल में लिस्ट निकाली तो उसमें सबसे ज्यादा विश्ववा उर्फ संतोष सक्रिय था. जिसकी 3 नॉट 3 राइफल के साथ तस्वीर भी इंटेलिजेंस के हाथ लगी थी.
विश्वा उर्फ संतोष 2009 में पुणे से अपने दोस्त के साथ लापता था. राजनंदगांव की टांडा एरिया कमेटी के सदस्यों ने संतोष को विश्वा के रूप में चिन्हित किया जबकि उसके मित्र प्रशांत उर्फ मधुकर को इसी ग्रुप में लैपटॉप के नाम से जाना जाता है. जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का एक्सपर्ट है. मधुकर का नाम उसे माओवादियों ने दिया है, लेकिन उसके एक्सपर्ट होने की वजह से नक्सली उसे लैपटॉप बुलाते हैं. यह नाम एक कोड वर्ड भी है.
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छत्तीसगढ़ पुलिस के SIB के डीआईजी का कहना है, हम विश्वा और उसके साथियों के बारे में और तफ्तीश कर रहे हैं, जल्द ही बहुत से इनपुट मिलेंगे. सूत्रों के मुताबिक प्रशांत ने अपने भाई से एक बार फोन पर बात की थी और कहा था मैं नहीं लौट पाऊंगा. सूत्रों के मुताबिक माओवादियों ने संतोष सेलर के दोस्त प्रशांत को मधुकर का नाम दे दिया था संतोष पहले उत्तरी गढ़चिरौली गोंदिया डिवीजन में माओवादियों के प्लाटून 56 का सदस्य था. वहीं प्रशांत को टेक्निकल कमेटी का सदस्य बना दिया गया है.
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कंप्यूटर की जानकारी का इस्तेमाल
प्रशांत ने अपने भाई प्रवीण को फोन कर कहा था कि मेरे लौटने के रास्ते बंद हो चुके हैं. मैं अपने कंप्यूटर की जानकारी का इस्तेमाल माओवादियों के लिए कर रहा हूं. मुझे हथियारों की भी ट्रेनिंग मिल रही है. पुणे पुलिस के सूत्रों के मुताबिक उन्हें शक है कि महाराष्ट्र में कबीर कला मंच से जुड़े और लापता कई लोग माओवादी बन गए हैं. सूत्रों के मुताबिक बस्तर से सैकड़ों की तादात में ऐसे युवा गायब हैं. जिनकी गुमशुदगी दर्ज है. कुछ तो 15 साल से भी कम उम्र के हैं. हालांकि पुलिस को ठोस रूप से इनकी जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन ज्यादातर के बारे में यही कहा जाता है कि वे अब नक्सलियों के साथ मिलकर काम करने लगे हैं.