सायको किलर उदयन: जिस ताबूत के नीचे आकांक्षा दफन थी, उसी पर गर्लफ्रेंड को बैठा करता था घंटों बातें
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सायको किलर उदयन: जिस ताबूत के नीचे आकांक्षा दफन थी, उसी पर गर्लफ्रेंड को बैठा करता था घंटों बातें

सायको किलर उदयन दास को आखिरकार बांकुड़ा कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिली है. उदयन पर उसकी प्रेमिका की हत्या का आरोप लगा था. जिस पर बांकुड़ा की फास्ट ट्रैक ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. हालांकि अभी मां-बाप की हत्या के मामले में अभी रायपुर कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है.

सायको किलर उदयन: जिस ताबूत के नीचे आकांक्षा दफन थी, उसी पर गर्लफ्रेंड को बैठा करता था घंटों बातें

भोपाल: सायको किलर उदयन दास को आखिरकार बांकुड़ा कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिली है. उदयन पर उसकी प्रेमिका आकांक्षा शर्मा की हत्या का आरोप लगा था. जिस पर बांकुड़ा की फास्ट ट्रैक ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. हालांकि अभी उदयन को अपने मां-बाप की हत्या के मामले में रायपुर कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया है. उदयन ने 23 जुलाई, 2016 को अपनी गर्लफ्रेंड की नृशंस हत्या कर दी थी. बांकुड़ा में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरेश विश्वकर्मा ने आरोपी को हत्या एवं सबूत मिटाने के जुर्म में उम्रकैद के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना भुगतान करने का आदेश भी दिया.

उदयन दास अपने आपको किसी रईसजादे से कम नहीं मानता था. शौक पूरे करने के लिए कॉलगर्ल भी बुलाता था. इतना ही नहीं नई-नई गर्लफ्रेंड बनाता था और उनको उसी कमरे में लेकर आता जहां आकांक्षा का ताबूत था. उन लड़कियों के साथ घंटों उसी ताबूत पर बैठकर बातें करता था. आकांक्षा की हत्या के बाद भी 8 महीने तक वह ऐसा करता रहा.

6 साल में 12 गर्लफ्रेंड; एक को ठिकाने लगाया, कुछ का पता नहीं चला
उदयन शौक पूरे करने के लिए कॉलगर्ल बुलाता था. जब उसका मन भर जाता तो मासूम लड़कियों को अपने प्यार में फंसाना शुरू कर देता था. फंसाने के लिए वह लक्जरी लाइफ, पार्टी और क्लबों की फोटो अपने सोशल अकाउंट पर डालता था. बांकुड़ा की रहने वाली आकांक्षा शर्मा भी इसी जाल में फंसी थी. 6 साल में 12 लड़कियों को फंसाया था. बता दें कि 11 लड़कियों संग ऐसा कर चुका था. इनमें से दो लड़कियों का तो अभी तक कोई अता-पता नहीं चल पाया है. 

सोशल मीडिया में 100 से ज्यादा फेक अकाउंट 
पुलिस को शक है कि कहीं उनके साथ भी उसने आकांक्षा जैसा सलूक तो नहीं किया. हालांकि न तो उन दो लड़कियों को लेकर किसी ने कोई कंप्लेन की और न ही कोई पूछने आया. पुलिस के मुताबिक उदयन एक-दो नहीं सोशल मीडिया पर पूरे 110 फेकअकाउंट बनाकर फर्ज़ी तरीके से लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था. वो कभी करन बना, कभी ग्रोवर, कभी राजीव और कभी रेयान. बेहद रईसी अंदाज वाली फोटो सोशल साइड पर अपलोड कर वो लड़कियों को झांसे में लेता था.

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लड़कियों को फंसाने के लिए बन जाता हीरा कारोबारी
लड़कियों को फांसने के लिए उदयन खुद को माइनिंग, तेल और हीरे का कारोबारी बताता था. उसकी मर्सिडीज कार इस बात को पूरा सही साबित करती थी. वह लड़कियों को खुद को दो-दो मल्टीनेशनल कंपनी का मालिक बताता था. वह बताता था कि उसकी कंपनियों का कारोबार भारत सहित चाइना, यूरोप, यूएस से लेकर यूएई तक फैला है. 6 साल में उसने 12 से ज्यादा लड़कियां बदलीं थीं. आकांक्षा भी सोशल साइट ऑरकुट के जरिए 2007 में उससे मिली थी.

आकांक्षा को धोखे में रख बुला लिया भोपाल
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो उदयन और आकांक्षा एक-दूसरे से पहली बार मेरठ में मिले थे. इसके बाद सोशल नेटवर्क फेसबुक पर इन दोनों की दोस्ती आगे बढ़ी आकांक्षा और उदयन का मिलना जुलना होने लगा. 23 जून 2016 को अचानक आकांक्षा विदेश में नौकरी मिलने की बात कहकर बाकुड़ा से भोपाल आ गई. वह उदयन दास के साथ लिव इन में रहने लगी. इस दौरान यह दोनों अमेरिका की यात्रा पर भी गए. वहीं इन दोनों नें शादी भी कर ली. आकांक्षा ने कुछ फोटो भी अपने घरवालों को भेजी थी. जिससे घरवालों को लगा कि वह सच में अमेरिका में ही रह रही है.

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15 जुलाई को की थी आकांक्षा की हत्या, 16 को बना दिया ताबूत
अमेरिका से लौटने के बाद दोनों भोपाल में रहने लगे. उदयन दास को आकांक्षा के चरित्र पर एक दिन शंका हुई. जिस पर उसने उसकी हत्या कर दी थी. उसने पुलिस को बताया था कि उसने आकांक्षा की किसी अन्य युवक के साथ एक फोटो देखी थी. आकांक्षा के खाते से कुछ पैसे भी निकले तो उदयन को लगा की आकांक्षा उसे धोखा दे रही है. इसको लेकर उसके और आकांक्षा में अक्सर झगड़े होने लगे. इस दौरान आकांक्षा अपने परिवार वालों से चैट पर लगातार बातें करती रही. 14 जुलाई को भी दोनों के बीच खूब लड़ाई-झगड़ा हुआ था. परिवार वाले भी यही समझते रहे की उनकी बेटी अमेरिका में शादीशुदा जीवन बिता रही है. लेकिन उदयन ने 15 जुलाई 2016 को उसकी हत्या कर दी. कमरे में रखे बॉक्स में उसकी बॉडी भर दी. उस बॉक्स को सीमेंट से भरकर उसने ताबूत जैसा बना दिया. 

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मां-बाप को भी मारकर कर दिया था दफन
आकांक्षा तो मर चुकी थी. उदयन उसी के फोन से  माता-पिता से चैट करने लगा. लेकिन चैट में कभी कभी वो ऐसी बात लिख देता कि आकांक्षा के मां-बाप सोच भी नहीं सकते थे. बेटी का यह व्यवहार कुछ ठीक नहीं लगा. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आकांक्षा के मोबाइल की लोकेशन भोपाल में ट्रैक की. इसके बाद परिजन भोपाल पहुंचे, लेकिन आकांक्षा का कुछ पता नहीं चला. इस बीच उदयन बांकुरा भी गया. वहां चार दिन रहा इसके बाद भोपाल लौट आया. फिर आकांक्षा के पिता शिवेंद्र नारायण शर्मा ने जनवरी, 2017 में  बांकुरा में उदयन के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराया. बांकुरा पुलिस भोपाल पहुंची और 1 फरवरी को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उदयन ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस पूछताछ में उदयन ने यह भी बताया कि रायपुर में उसने अपने माता-पिता को भी 2010 में मार दिया था. हत्या के बाद कथित तौर पर उसने दोनों के शवों को घर में ही दफना दिया था.

पैसों की कमी नहीं, लेकिन शौक ने बना दिया सायको किलर
उदयन के पिता वीके दास भेल में फोरमैन थे. मां इंद्राणी विंध्याचल भवन में एनालिस्ट थी. उदयन की पढ़ाई भोपाल के सेंट जोसेफ स्कूल में हुई थी. जब मां रिटायर हो गई तो वह फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए उनकी पेंशन के पैसे निकाल लेता था. उसके माता-पिता पिपलानी में रहते थे. लेकिन रिटायमेंट के बाद वो रायपुर शिफ्ट हो गए थे. वह रायपुर के डीडी नगर की पॉश कॉलोनी में रहते थे. यहां उदयन अक्सर पैसों को लेकर उनसे मारपीट करता था. एक दिन पैसों को लेकर ही उसने मां-बाप की हत्या कर दी. उनकी लाश को घर में ही दफन कर दिया था. रायपुर का यह मकान उसने हरीश कुमार पांडे को बेच दिया. मकान के पैसों से महंगी कार खरीदी, मां के जेवरों से होम थिएटर खरीदा और बाकी का पैसा ऐशोआराम में खर्च कर दिए. भोपाल के साकेतनगर में उसका 1200 स्क्वायर फिट दो मंजिला बंगला है. दिल्ली में डिफेंस कॉलोनी में भी उसका मकान है और मां-बाप की पेंशन भी उसे मिलती थी. जब आकांक्षा केस का खुलासा हुआ तो पुलिस उसे रायपुर लेकर गई, जहां उसकी निशानदेही पर खुदाई की तो उसके मां-बाप का कंकाल मिला. 

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