मध्य प्रदेश के उज्जैन के महिदपुर में दलितों की शादी और बारात निकालने को लेकर दिए SDM के फरमान का अब विरोध शुरू हो गया है.
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के उज्जैन के महिदपुर में दलितों की शादी और बारात निकालने को लेकर दिए SDM के फरमान का अब विरोध शुरू हो गया है. दरअसल, उज्जैन के महिदपुर के SDM ने SC-ST वर्ग के लिए एक फरमान जारी किया है जिसके मुताबिक इस वर्ग को शादी और बारात निकालने के तीन दिन पहले प्रशासन को सूचना देना होगा. इसके साथ ही विवाह समारोह की पूरी जानकारी एक रजिस्टर में भी दर्ज करवानी होगी. SDM द्वारा दिए इस निर्देश के बारे में जैसे ही लोगों को पता चला पूरे दलित समाज में इसका विरोध शुरू हो गया. इस फरमान के विरोध में कई दलित संगठन खड़े हो गए. जिसे देखते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने इस आदेश को वापस लेने और SDM पर कार्यवाई की बात कही है.
दलित की बारात निकालने में हुए विवाद का हवाला देते हुए जारी किया फरमान
दरअसल, कुछ समय पहले दलित समाज के विवाह समारोह में हुए विवाद और मारपीट के बाद एफआईआर दर्ज कराने के मामले को देखते हुए महिदपुर SDM ने यह फरमान जारी किया है. घटना का हवाला देते हुए SDM ने ग्राम पंचायत सचिव सरपंच को कहा है कि वे अपने क्षेत्र के ग्राम पंचायत में होने वाले SC-ST की शादी और बारात की सूचना तीन दिन पहले दें. इसके अलावा इस दौरान जो भी घटनाएं होती हैं उनकी पंजी संधारित करें और उसकी जानकारी संबंधित थाने में दें. इस कार्य में यदि कोई लापरवाही होती है तो उस पर कार्यवाई की जाएगी.
रजिस्टर में दर्ज करें शादी और बारात की जानकारी
अपने फरमान में SDM ने पंचायत सचिवों को शादी और बारात की पूरी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करने को कहा था. शादी के स्थान से लेकर बारातियों की संख्या तक सब रजिस्टर में दर्ज करने की बात कही थी और इसमें हुई लापरवाही पर कड़ी कार्यवाई की भी चेतावनी दी थी. इस प्रक्रिया के पीछे प्रशासन का तर्क है कि ऐसा करने से दलित वर्ग को शादी के दौरान होने वाली परेशानियों का सामना नहीं करना होगा. इसके अलावा दबंगों द्वारा की जा रही गुंडागर्दी भी कम होगी. प्रशासन ने यह कदम दलितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है.
दलित संगठनों ने जताया कड़ा विरोध
एसडीम द्वारा दिए फरमान की जानकारी लगते ही पूरे दलित संगठन ने आदेश के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है. दलितों ने इस आदेश के खिलाफ विरोध जताते हुए फरमान को वापस लेने की मांग की है. दलित संगठनों द्वारा हो रहे विरोध को देखते हुए उज्जैन कलेक्टर मनीष सिंह ने आदेश को वापस लेने और एसडीएम से इस फरमान के पीछे के मकसद पर चर्चा करने की बात कही है.