Panchkroshi Yatra Ujjain: उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा 22 अप्रैल से शुरू हो चुकी है, जो 27 अप्रैल तक चलेगी. 118 किमी लंबी इस यात्रा में श्रद्धालु पांच प्रमुख शिव मंदिरों की परिक्रमा कर शिप्रा स्नान करेंगे. इस बार यात्रा में हेड काउंटिंग कैमरे और ऑटोमैटिक मैसेजिंग सिस्टम जैसे हाईटेक इंतजाम किए गए हैं.
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Singhastha Preparation 2028: भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ हो चुकी है. परंपरा के अनुसार यह यात्रा वैशाख मास की दशमी से अमावस्या तक होती है, लेकिन इस बार श्रद्धालु इतने उत्साहित थे कि यात्रा एक दिन पहले 22 अप्रैल को ही शुरू हो गई. नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद हजारों श्रद्धालु 118 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर निकल पड़े. यह यात्रा 27 अप्रैल तक चलेगी.
यह पंचक्रोशी यात्रा उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर से शुरू होती है और पिंगलेश्वर, करोहन, अंबोदिया, जैथल और उंडासा जैसे गांवों से होते हुए दोबारा नागचंद्रेश्वर मंदिर पर खत्म होती है. इस दौरान श्रद्धालु पिंगलेश्वर, कायावर्णेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्दरेश्वर और नीलकंठेश्वर जैसे पांच शिव मंदिरों की परिक्रमा करते हैं. यात्रा का समापन शिप्रा नदी में पवित्र स्नान के साथ होता है, जिसे मोक्षदायक माना गया है.
6 जगहों पर हेड काउंटिंग कैमरे
इस बार की यात्रा में जिला प्रशासन ने सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए कई नई तकनीकी व्यवस्थाएं की हैं. पहली बार यात्रा मार्ग पर 6 जगहों पर हेड काउंटिंग कैमरे लगाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं की संख्या को रिकॉर्ड कर रहे हैं. इसके अलावा, सेमी-ऑटोमैटिक मैसेजिंग सिस्टम लगाया गया है, जिससे कंट्रोल रूम से सभी पड़ावों पर एक साथ जरूरी सूचना भेजी जा सकती है.
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रियल टाइम मॉनिटरिंग भी हो रही
पूरे यात्रा मार्ग को सीसीटीवी कैमरों से कवर किया गया है, जिससे सुरक्षा और निगरानी पहले से कहीं बेहतर हो गई है. जिला पंचायत सीईओ जयति सिंह ने का कहना है कि भीड़ नियंत्रण के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग भी की जा रही है. यात्रा मार्ग में 3 मुख्य कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, जहां से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है.
पंचक्रोशी मार्ग में कई उपपड़ाव हैं
आपको बता दें कि पंचक्रोशी मार्ग में कई जगहों पर ठहरने की व्यवस्था भी है, जैसे राघौपिपल्या, त्रिवेणी, नलवा, सोडंग और केडी पैलेस जहां श्रद्धालु विश्राम करते हैं और पूजा-अर्चना भी करते हैं. यात्रा के दौरान जगह-जगह सेवा शिविर, जल वितरण केंद्र, चिकित्सा सुविधा और मोबाइल टॉयलेट्स की व्यवस्था की गई है. लोकल प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर व्यवस्था संभाल रहे हैं.
वैशाख मास, भगवान विष्णु को प्रिय
वैशाख मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. शास्त्रों में लिखा है कि वैशाख भगवान विष्णु को प्रिय है और इस मास में किए गए पुण्य कार्यों का फल कई गुना होता है. पंचक्रोशी यात्रा में शामिल होकर वे लोग भी पुण्य अर्जित कर सकते हैं, जो पूरे महीने पूजा-पाठ या स्नान नहीं कर पाए. यही वजह है कि देशभर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं.
अनादिकाल से चली आ रही यात्रा
उज्जैन शहर का धार्मिक भूगोल भी इस यात्रा को विशेष बनाता है. शहर चौकोर आकार में बसा है और इसके चारों दिशाओं में पांच प्राचीन शिव मंदिर द्वारपाल की तरह स्थित हैं. नागचंद्रेश्वर मंदिर शहर के मध्य में है, जिससे यह यात्रा पूर्ण परिक्रमा का रूप ले लेती है. पंडितों का मानना है कि यह यात्रा अनादिकाल से चली आ रही है और स्कंदपुराण में इसका उल्लेख मिलता है. यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, सेवा और श्रद्धा का महापर्व है.
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